नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के ताज ट्रैपेज़ियम ज़ोन (TTZ) में 454 पेड़ों की अवैध कटाई को गंभीर अपराध मानते हुए एक बिजनेसमैन पर प्रत्येक पेड़ के लिए 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इस हिसाब से कुल जुर्माना 4 करोड़ 54 लाख रुपये बनता है। अदालत ने इस कृत्य को “हत्या से भी जघन्य अपराध” करार दिया और कहा कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।
क्या है मामला?
केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) की रिपोर्ट के अनुसार, 18 सितंबर 2023 की रात वृंदावन स्थित चटीकारा रोड पर एक निजी फार्म (डालमिया फार्म) में 422 पेड़ काटे गए। इसके अलावा, सड़क किनारे संरक्षित वन क्षेत्र में भी 32 पेड़ अवैध रूप से काटे गए।
यह कटाई बिना किसी अनुमति के हुई, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 से ही इस क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई हुई है। कोर्ट ने इस घटना को अपने आदेशों का खुला उल्लंघन बताते हुए बेहद गंभीर माना।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा:
“454 पेड़ों की कटाई बेहद निंदनीय कृत्य है। इस हरित क्षेत्र को फिर से तैयार होने में कम से कम 100 साल लगेंगे। ऐसे मामलों में किसी तरह की रियायत नहीं दी जा सकती।”
मालिक ने मांगी माफी, कोर्ट ने जुर्माना कम करने से इनकार किया
फार्म के मालिक शिव शंकर अग्रवाल ने कोर्ट से गुहार लगाई कि जुर्माने की राशि कम की जाए। उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और माफी मांगी। साथ ही, यह अनुरोध भी किया कि उन्हें उसी जमीन पर नहीं बल्कि पास के क्षेत्र में पौधरोपण करने की अनुमति दी जाए।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माना कम करने से इनकार कर दिया लेकिन उन्हें पास के क्षेत्र में पौधरोपण करने की अनुमति दे दी।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
सीईसी की सिफारिशों के अनुसार:
उत्तर प्रदेश वन विभाग → UP Protection of Trees Act, 1976 के तहत जुर्माना वसूलेगा।
संरक्षित वन क्षेत्र में काटे गए 32 पेड़ों के लिए → Indian Forest Act, 1927 के तहत कानूनी कार्रवाई होगी।
अदालत का स्पष्ट संदेश: पर्यावरण संरक्षण में कोई ढील नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अग्रवाल के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही भी शुरू कर दी और सीईसी से उनकी आगे की सजा को लेकर सुझाव मांगे हैं।
अदालत में सहायक के रूप में नियुक्त वरिष्ठ वकील एडीएन राव ने कहा कि अपराधियों को कड़ा संदेश देने की जरूरत है ताकि भविष्य में कोई भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की हिम्मत न करे।
बेंच ने इस सुझाव को स्वीकार करते हुए दोहराया कि पर्यावरण संरक्षण में कोई ढील नहीं दी जाएगी और ऐसे अपराधों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।