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पिछले 40 सालों में आर्कटिक में ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना: स्वालबार्ड पर सबसे बड़ा असर

by kishanchaubey
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Global Warming: पिछले चार दशकों में जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक क्षेत्र में स्थित स्वालबार्ड द्वीपसमूह में ग्लेशियरों के पिघलने की घटनाओं में तेज़ी आई है। ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के हालिया अध्ययन से पता चलता है कि यहां के 91% ग्लेशियर तेजी से सिकुड़ रहे हैं।

स्वालबार्ड के ग्लेशियरों पर असर

1985 से अब तक, इस नॉर्वेजियन द्वीपसमूह के ग्लेशियर किनारों पर 800 वर्ग किलोमीटर से अधिक बर्फ खत्म हो चुकी है। यह पिघलाव समुद्र और हवा के बढ़ते तापमान का सीधा परिणाम है।

शोध के मुताबिक, लगभग 62% ग्लेशियरों पर मौसमी चक्र का असर पड़ता है। गर्मियों में तापमान बढ़ने के कारण ये ग्लेशियर तेजी से टूटकर समुद्र में मिल जाते हैं।

तेजी से हो रहा है ग्लेशियरों का नुकसान

शोधकर्ताओं ने पाया कि स्वालबार्ड के ग्लेशियर 2016 में सबसे ज्यादा पीछे हटे। यह तब हुआ जब इस क्षेत्र में तापमान वृद्धि के चरम स्तर देखे गए। उस समय ग्लेशियर पिघलने की दर 2010 से 2015 के औसत से लगभग दोगुनी थी।

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विशेषज्ञों का मानना है कि इस तेजी से पिघलने की वजह “वायुमंडलीय अवरोध” (Atmospheric Blocking) था। यह एक प्रकार का मौसम चक्र है, जिसमें वायुमंडलीय दबाव में बदलाव के कारण लंबे समय तक गर्म मौसम बना रहता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ग्लेशियरों का विश्लेषण

नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित इस शोध में शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल करके स्वालबार्ड के ग्लेशियरों का विस्तृत विश्लेषण किया।

  • एआई मॉडल ने लाखों सैटेलाइट तस्वीरों का अध्ययन करके ग्लेशियरों के पीछे हटने के पैटर्न का पता लगाया।
  • यह मॉडल ग्लेशियरों के नुकसान की गति और प्रकृति को समझने में सहायक साबित हुआ।

जलवायु परिवर्तन का वैश्विक प्रभाव

शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर वायुमंडलीय अवरोध की घटनाएं बढ़ती रहीं और तापमान में बढ़ोतरी जारी रही, तो ग्लेशियरों के पिघलने की दर और बढ़ेगी।

  • ग्लेशियर पिघलने से समुद्र का स्तर बढ़ेगा।
  • आर्कटिक में समुद्री जीवन और पर्यावरण में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।

स्वालबार्ड: जलवायु परिवर्तन के लिए संवेदनशील क्षेत्र

स्वालबार्ड पृथ्वी पर सबसे तेजी से गर्म हो रहे स्थानों में से एक है।

  • इसकी भौगोलिक स्थिति और बर्फीले मैदान इसे जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाते हैं।
  • यह क्षेत्र वैश्विक औसत से सात गुना अधिक तेजी से गर्म हो रहा है।

ग्लेशियरों के टूटने की प्रक्रिया को समझना जरूरी

शोधकर्ताओं ने बताया कि ग्लेशियरों का टूटना (Calving) एक जटिल प्रक्रिया है, जिसे अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। यह ग्लेशियर के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
इस अध्ययन ने ग्लेशियरों के टूटने के कारणों और इसके वैश्विक तापमान वृद्धि से संबंध को समझने में नई जानकारी प्रदान की है।

भविष्य के लिए चेतावनी

ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों का संकेत है। यह अध्ययन न केवल स्वालबार्ड बल्कि अन्य आर्कटिक क्षेत्रों में ग्लेशियरों की स्थिति पर भी रोशनी डालता है। इसे जलवायु परिवर्तन की दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा सकता है।

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