सुप्रीम कोर्ट ने 25 नवंबर को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को निर्देश दिया कि वह दिल्ली-एनसीआर में स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थानों की शारीरिक कक्षाओं पर लगी पाबंदियों को लेकर पुनर्विचार करे। ये प्रतिबंध पिछले हफ्ते गंभीर वायु प्रदूषण के कारण लगाए गए थे।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने आयोग को यह फैसला इन महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार करने के बाद लेने को कहा:
- मध्याह्न भोजन की सुविधा से वंचित छात्र: स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र बंद होने के कारण कई बच्चे मध्याह्न भोजन जैसी जरूरी सुविधा से वंचित हो रहे हैं।
- ऑनलाइन शिक्षा की चुनौती: बहुत से छात्रों के पास ऑनलाइन पढ़ाई के लिए आवश्यक उपकरण उपलब्ध नहीं हैं।
- एयर प्यूरीफायर की अनुपलब्धता: बच्चों के घरों में एयर प्यूरीफायर नहीं होने से घर और स्कूल में प्रदूषण का प्रभाव समान हो सकता है।
10वीं और 12वीं की कक्षाओं पर पाबंदी पर विचार
सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय आयोग पर छोड़ा कि वह 10वीं और 12वीं की शारीरिक कक्षाओं पर प्रतिबंध जारी रखने के बारे में फैसला करे। कोर्ट ने आयोग को 26 नवंबर तक निर्णय लेने का निर्देश दिया।
निर्माण कार्य और दैनिक मजदूरी पर प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण गतिविधियों पर रोक के कारण प्रभावित मजदूरों के लिए सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे श्रम उपकर (Labour Cess) से एकत्रित धन का उपयोग मजदूरों को सहायता प्रदान करने में करें। कोर्ट ने सभी राज्यों से तुरंत कार्रवाई करने को कहा।
वायु गुणवत्ता पर कोर्ट की सख्ती
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में लगातार सुधार नहीं होता, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चरण IV के तहत प्रतिबंध जारी रहेंगे। कोर्ट ने अधिकारियों को प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की एंट्री रोकने और निर्माण कार्यों पर लगे प्रतिबंध सख्ती से लागू करने में लापरवाही के लिए फटकार लगाई।
वायु गुणवत्ता में सुधार
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, 25 नवंबर सुबह दिल्ली का AQI 281 (खराब) श्रेणी में दर्ज किया गया। यह 24 नवंबर शाम के 318 (बहुत खराब) AQI से बेहतर था। हालांकि, 39 में से 15 मॉनिटरिंग स्टेशनों ने अभी भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में वायु गुणवत्ता दर्ज की।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
- स्वास्थ्य समस्याएं: खराब वायु गुणवत्ता से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों की बीमारियां, और दिल की समस्याएं बढ़ सकती हैं। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका सबसे ज्यादा असर होता है।
- दैनिक जीवन पर प्रभाव: प्रदूषण के कारण स्कूलों का बंद होना, निर्माण कार्यों पर रोक और मजदूरों की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: वायु प्रदूषण से जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता को नुकसान पहुंचता है। इससे मिट्टी, पानी और पौधों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
समाधान की आवश्यकता
सरकार और प्रशासन को वायु प्रदूषण के स्थायी समाधान के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए, जिसमें हरित ऊर्जा का उपयोग, सार्वजनिक परिवहन का विस्तार, और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर कड़ी निगरानी शामिल हो।