Supreme Court order : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (19 दिसंबर) को उत्तर प्रदेश और हरियाणा को निर्देश दिया है कि वे भी दिल्ली की तरह पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध लागू करें। कोर्ट ने यह आदेश दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित करने के लिए दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति अगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा,
“यह प्रतिबंध तभी प्रभावी होगा, जब एनसीआर के अन्य राज्यों में भी ऐसे ही कदम उठाए जाएं। राजस्थान के एनसीआर क्षेत्रों में पहले से ही ऐसा प्रतिबंध लागू है। फिलहाल हम उत्तर प्रदेश और हरियाणा को भी दिल्ली के आदेश (19 दिसंबर 2024) के अनुरूप प्रतिबंध लगाने का निर्देश देते हैं।”
दिल्ली सरकार की दलील
दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने कोर्ट को बताया कि राजधानी में पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री, वितरण, और उपयोग पर सालभर के लिए पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन, यह प्रतिबंध तभी कारगर होगा जब पड़ोसी राज्य भी ऐसे ही प्रतिबंध लागू करेंगे, क्योंकि वहां से पटाखे दिल्ली लाए जा सकते हैं।
राज्यों में वर्तमान स्थिति
- दिल्ली: पटाखों पर निर्माण से लेकर उपयोग तक पूरी तरह प्रतिबंध।
- हरियाणा: हरियाली पटाखों (ग्रीन क्रैकर्स) को अनुमति।
- राजस्थान: एनसीआर क्षेत्रों में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 5 के तहत पटाखों पर प्रतिबंध लागू किया है। यह प्रतिबंध ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए पटाखों की डिलीवरी पर भी लागू होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अन्य एनसीआर राज्यों में भी दिल्ली मॉडल को अपनाना चाहिए।
न्यायमूर्ति ओका ने कहा,
“एक बदलाव के लिए, हम सुझाव दे रहे हैं कि दिल्ली का मॉडल बाकी राज्यों द्वारा भी अपनाया जाए।”
पिछली सुनवाई का संदर्भ
12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और एनसीआर राज्यों को पटाखों पर सालभर के लिए प्रतिबंध लागू करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि यह प्रतिबंध केवल वायु प्रदूषण ही नहीं, बल्कि ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए भी जरूरी है।
आगे की सुनवाई
इस मामले में अगली सुनवाई 15 जनवरी 2025 को होगी, जिसमें कोर्ट पटाखों पर प्रतिबंध के लिए अतिरिक्त दिशा-निर्देश जारी करेगा।
पृष्ठभूमि और पर्यावरणीय चिंताएं
सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि किसी भी धर्म में प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों को बढ़ावा नहीं दिया गया है। कोर्ट ने नागरिकों के अनुच्छेद 21 के तहत स्वच्छ वातावरण के अधिकार का हवाला देते हुए पटाखों पर सख्त प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता बताई।
इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा है कि जनवरी से देश के अन्य शहरों में प्रदूषण की समस्याओं पर अलग-अलग सुनवाई की जाएगी।
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP)
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण रोकने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 को प्रभावी ढंग से लागू करने पर जोर दे रहा है।
सारांश
सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर राज्यों को निर्देश दिया है कि वे प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाएं। दिल्ली का मॉडल उदाहरण बनकर अन्य राज्यों में लागू किया जा रहा है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और नागरिकों को स्वस्थ जीवन प्रदान करने के लिए आवश्यक है।