दिल्ली में मौजूदा समय में कुल 1,046 जल निकाय मौजूद हैं। यह आंकड़ा दिल्ली वेटलैंड अथॉरिटी द्वारा 7 अप्रैल, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सौंपी गई रिपोर्ट में सामने आया है। यह रिपोर्ट एनजीटी के 11 दिसंबर, 2024 के आदेश के बाद तैयार की गई, जो दिल्ली के शहरी इलाकों में बढ़ती बाढ़ और गायब होते जल निकायों से जुड़े मामले की सुनवाई के तहत पेश की गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम परिसर में एक नए जल निकाय की पहचान हुई है, जिसे सूची में शामिल कर जल निकायों की संख्या 1,046 हो गई है।
कितने जलाशयों की हालत खराब?
राजस्व विभाग की जमीनी जांच के बाद दिल्ली वेटलैंड अथॉरिटी ने पहले चरण में 1,045 जल निकायों में से 631 को पुनर्जनन के लिए चिह्नित किया। अब तक 256 जलाशयों का कायाकल्प पूरा हो चुका है।
जीएसडीएल ने 322 स्थानों को जलाशय के रूप में चिह्नित किया था, लेकिन राजस्व विभाग की पड़ताल में सिर्फ 43 की पुष्टि हुई। अथॉरिटी ने इन 43 जल निकायों का मानचित्रण कर राजस्व रिकॉर्ड में शामिल करने और संबंधित एजेंसियों को जीर्णोद्धार के लिए योजना बनाने का निर्देश दिया है।
वसंत कुंज में बिना अनुमति चल रहा एसटीपी
एनजीटी ने वसंत कुंज में संचालित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) को लेकर दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) से जवाब मांगा है। 3 अप्रैल, 2025 के आदेश में ट्रिब्यूनल ने डीजेबी से एसटीपी की क्षमता, मौजूदा लोड और मानकों के पालन की जानकारी हलफनामे में देने को कहा। यह मामला स्मृति वन के ‘मछली तालाब’ की सफाई से जुड़ा है।
डीजेबी ने 5 मार्च, 2025 को स्वीकार किया कि यह प्लांट बिना ‘कंसेंट टू एस्टैब्लिश’ (सीटीई) और ‘कंसेंट टू ऑपरेट’ (सीटीओ) के चल रहा था। 2 अप्रैल, 2025 को सीटीई मिला, लेकिन सीटीओ अभी बाकी है।
एनजीटी ने डीपीसीसी को नियमों के उल्लंघन के लिए पर्यावरण क्षतिपूर्ति वसूलने और एसटीपी से निकलने वाले पानी की जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। डीजेबी ने बताया कि एक नई सीवर लाइन प्रस्तावित है, जो अतिरिक्त गंदे पानी को दूसरी लाइन में डायवर्ट करेगी, लेकिन एसटीपी की अतिरिक्त बोझ उठाने की क्षमता पर सवाल उठे हैं।
थेनपेनई नदी में कर्नाटक से आ रहा प्रदूषण
तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) ने 5 अप्रैल, 2025 को एनजीटी में रिपोर्ट दाखिल कर बताया कि कर्नाटक से थेनपेनई नदी में सीवेज और गंदा पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे नदी में झाग बन रहा है। यह समस्या मानसून और भारी बारिश के दौरान बढ़ती है, जो कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया और उच्च बीओडी स्तर के कारण है। यह मामला एनडीटीवी की खबर के आधार पर स्वतः संज्ञान में लिया गया, जिसमें होसुर में जहरीले झाग की बात थी।
टीएनपीसीबी ने कर्नाटक के बेलंदूर और वरथुर झीलों से सीवेज नियंत्रण के लिए सीपीसीबी से हस्तक्षेप की मांग की है। थेनपेनई नदी कर्नाटक से तमिलनाडु में प्रवेश करती है, और केलावरपल्ली जलाशय से छोड़ा गया दूषित पानी व आसपास के सीवेज से इसकी गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
दिल्ली और तमिलनाडु में पर्यावरण संरक्षण के ये मामले एनजीटी की सक्रियता को दर्शाते हैं।