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दिल की बीमारियों के लिए क्रांतिकारी खोज: दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर

by kishanchaubey
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वैज्ञानिकों ने हृदय रोगों के इलाज में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। उन्होंने दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर बनाया है, जो इतना छोटा है कि इसे इंजेक्शन से शरीर में डाला जा सकता है। सबसे खास बात? यह पेसमेकर काम पूरा होने के बाद अपने आप शरीर में घुल जाता है।

यानी न सर्जरी, न टांके, न कोई दर्द! नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के इंजीनियरों ने इसे बनाया है, और यह खासकर उन नवजात बच्चों के लिए वरदान है, जिनके दिल में जन्म से ही समस्या होती है। आइए, इसे आसान शब्दों में समझते हैं।

पेसमेकर क्या है?

  • पेसमेकर एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो दिल की धड़कन को सामान्य रखता है।
  • यह उन लोगों के लिए जरूरी है, जिनका दिल सही गति से नहीं धड़कता।
  • इसे कार्डियक पेसिंग डिवाइस भी कहते हैं।
  • पारंपरिक पेसमेकर को सर्जरी से लगाया जाता है, और बाद में इसे निकालने के लिए फिर से ऑपरेशन करना पड़ता है। इससे संक्रमण, घाव, या आंतरिक रक्तस्राव का खतरा रहता है।

नया पेसमेकर क्यों खास है?

  • आकार: यह चावल के दाने से भी छोटा है—1.8 मिमी चौड़ा, 3.5 मिमी लंबा, और 1 मिमी मोटा।
  • लगाने का तरीका: इसे सुई के जरिए इंजेक्शन से दिल में डाला जा सकता है। सर्जरी की जरूरत नहीं।
  • घुलनशील: काम पूरा होने पर यह शरीर के तरल पदार्थों में घुल जाता है। इसे निकालने के लिए ऑपरेशन नहीं करना पड़ता।
  • लक्ष्य: खासकर नवजात शिशुओं के लिए बनाया गया, जिनके दिल में जन्मजात खराबी होती है। सर्जरी के बाद उनके दिल को कुछ दिनों तक सामान्य रखने के लिए यह जरूरी है।
  • अन्य उपयोग: यह वयस्कों और अस्थायी जरूरत वाले मरीजों के लिए भी उपयोगी है।

यह कैसे काम करता है?

  • वायरलेस तकनीक: यह पेसमेकर एक नरम, वायरलेस डिवाइस के साथ काम करता है, जो मरीज की छाती पर लगाया जाता है।
  • रोशनी से नियंत्रण:
    • जब डिवाइस दिल की धड़कन में गड़बड़ी पकड़ता है, तो यह इन्फ्रारेड लाइट की छोटी पल्स भेजता है।
    • यह लाइट त्वचा और मांसपेशियों के जरिए पेसमेकर तक पहुंचती है और उसे सक्रिय करती है।
    • पेसमेकर दिल को इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजता है, जिससे धड़कन सामान्य हो जाती है।
  • खुद बिजली बनाता है: इसमें दो धातुएं हैं, जो शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आकर बैटरी की तरह काम करती हैं। बाहरी बिजली की जरूरत नहीं।
  • अलग-अलग रंग की लाइट: जरूरत पड़ने पर कई पेसमेकर लगाए जा सकते हैं, और हर एक को अलग रंग की लाइट से नियंत्रित किया जा सकता है।

पहले की समस्याएं और नया समाधान

  • पारंपरिक पेसमेकर:
    • इनमें तारें शरीर से बाहर रहती थीं, जो हटाने पर संक्रमण या रक्तस्राव का खतरा पैदा करती थीं।
    • उदाहरण: वैज्ञानिक नील आर्मस्ट्रांग की मृत्यु ऐसी ही जटिलता से हुई थी। बाईपास सर्जरी के बाद उनके पेसमेकर के तार हटाने पर आंतरिक रक्तस्राव हुआ।
    • तार हटाने से दिल की मांसपेशियों को नुकसान हो सकता था।
  • नया पेसमेकर:
    • कोई तार नहीं, इसलिए कोई खतरा नहीं।
    • घुलनशील सामग्री से बना है, जो शरीर में सुरक्षित रूप से घुल जाती है।
    • शोधकर्ता जॉन ए. रोजर्स बताते हैं कि सामग्री की मोटाई और संरचना बदलकर यह तय किया जा सकता है कि पेसमेकर कितने दिन काम करेगा (जैसे 7 दिन या ज्यादा)।

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