मदुरै: मदुरै नेचर कल्चरल फाउंडेशन द्वारा किए गए हालिया अध्ययन से एक गंभीर स्थिति सामने आई है। वैगाई नदी, जो कि इस क्षेत्र के लिए जीवनदायिनी जल स्रोत और सांस्कृतिक प्रतीक है, अब प्रदूषण के कारण मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त हो चुकी है। 28 अगस्त से 6 सितंबर के बीच पूरी नदी की लंबाई पर किए गए इस अध्ययन में नदी की भयावह स्थिति सामने आई।
प्रमुख निष्कर्ष:
अध्ययन में 36 अलग-अलग स्थानों से पानी के नमूने लिए गए, जिनमें से 8 नमूने ‘डी’ श्रेणी में पाए गए, जो कि कीटनाशक के रिसाव से हुए प्रदूषण को दर्शाते हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि 28 नमूने ‘ई’ श्रेणी में पाए गए, जो कि जल गुणवत्ता की सबसे निम्न श्रेणी है।
फाउंडेशन के समन्वयक तमिलथासन ने बताया, “नदी के पानी की गुणवत्ता में गिरावट का असर पक्षियों की घटती संख्या पर देखा जा सकता है। विशेष रूप से सारस जैसे पक्षियों की घटती संख्या इस बात का संकेत है कि पानी की गुणवत्ता खराब हो रही है।” वहीं दूसरी ओर, कूट्स और ग्लासी इबिस जैसे पक्षियों की संख्या बढ़ रही है, जो प्रदूषित जगहों पर पनपते हैं। यह इस बात का संकेत है कि नदी में सीवेज (गंदा पानी) का स्तर बढ़ रहा है।
आक्रामक पौधों का विस्तार:
अध्ययन में यह भी पाया गया कि नदी में जलकुंभी और अन्य प्रकार के घास जैसे आक्रामक पौधे तेजी से फैल रहे हैं, जो पानी की गुणवत्ता में और गिरावट का कारण बन रहे हैं। इन पौधों का फैलाव जल प्रवाह को रोकता है और नदी के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। इस अध्ययन में पक्षी विशेषज्ञ एन. रविंद्रन, वनस्पति विशेषज्ञ एन. कार्तिकेयन, और पर्यावरण प्रेमी जी.आर. विश्वनाथ और एम. तमिलथासन ने भाग लिया।
नगर और औद्योगिक गतिविधियों का प्रभाव:
एक पीडब्ल्यूडी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “नदी के ऊपरी हिस्सों में पानी की गुणवत्ता अपेक्षाकृत बेहतर होती है, लेकिन जैसे-जैसे नदी शहरी क्षेत्रों से गुजरती है, मानव गतिविधियों के कारण पानी में प्रदूषण बढ़ जाता है।”
सरकार से कार्यवाही की मांग:
फाउंडेशन ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और जिला कलेक्टर एम.एस. संगीता को सौंपी है और उनसे नदी की सुरक्षा और पुनर्स्थापना के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की श्रेणियाँ:
- क्लास A: बिना किसी उपचार के केवल कीटाणुनाशक (क्लोरीनेशन) के बाद पीने के लिए उपयोग
- क्लास B: बाहरी स्नान के लिए उपयोग
- क्लास C: सामान्य उपचार के बाद पीने के लिए उपयोग
- क्लास D: वन्यजीव और मत्स्य पालन के लिए
- क्लास E: सिंचाई, औद्योगिक शीतलन, और नियंत्रित निपटान के लिए
विलुप्तप्राय प्रजातियों की खोज:
अध्ययन में यह भी पता चला कि वैगाई नदी के उद्गम स्थल के घने जंगल में विलुप्तप्राय स्मूथ-कोटेड ऊदबिलाव (लुट्रोगेल पर्सपिकिलाटा) की दुर्लभ प्रजाति मिली है, जो कावेरी नदी के आसपास भी पाई जाती है। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने इसे “संकटग्रस्त” श्रेणी में रखा है। शोधकर्ताओं ने अधिकारियों से इनकी संख्या बढ़ाने और इनके आवास क्षेत्र की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया है। इसके अलावा, अध्ययन में हिरण, नेवले सहित 35 स्तनधारी प्रजातियाँ और 67 पौधों की प्रजातियाँ भी पाई गईं।
175 पक्षी प्रजातियों की पहचान:
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 175 पक्षी प्रजातियों की पहचान की गई, जिनमें से 12 प्रजातियाँ रेड लिस्ट में शामिल हैं। रिपोर्ट में थनी, रामनाथपुरम, मदुरै और शिवगंगा जिलों के वे स्थान भी चिन्हित किए गए हैं जहाँ से सीवेज नदी में प्रवेश करता है।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव:
वैगाई नदी में प्रदूषण का स्तर केवल जैव विविधता पर ही नहीं, बल्कि मानवीय स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर डाल रहा है। इस प्रदूषण का पानी और भोजन के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करना विभिन्न रोगों का कारण बन सकता है, जैसे कि पेट और त्वचा के संक्रमण, कैंसर का खतरा, और जल जनित रोग। जलकुंभी जैसे आक्रामक पौधों के कारण पानी में ऑक्सीजन का स्तर घट रहा है, जिससे जलीय जीवन पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
प्रदूषण का यह स्तर न केवल पारिस्थितिक संतुलन को बाधित करता है, बल्कि क्षेत्र के लोगों की आजीविका पर भी असर डालता है, जो कृषि और मत्स्य पालन पर निर्भर हैं।
समाधान की आवश्यकता
वैगाई नदी की सुरक्षा के लिए स्थानीय और राज्य सरकार को मिलकर तत्काल कदम उठाने होंगे, जैसे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना, नदी के किनारे हरी पट्टी विकसित करना, और पानी की नियमित जाँच करना।