तुर्की-ईरान सीमा पर स्थित लिटिल आगरी (कुचुक आगरी दाग़ी) पर्वत के तलहटी जंगलों में वैज्ञानिकों ने क्षेत्र की जैव विविधता पर शोध शुरू किया है। इस पहल का उद्देश्य न केवल इस अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र की प्रजातियों का अध्ययन करना है, बल्कि यह भी समझना है कि ये जंगल पर्यावरणीय संतुलन और मानव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकते हैं। इगदिर विश्वविद्यालय के जैव विविधता अनुसंधान और अनुप्रयोग केंद्र (BİYOMER) ने तुर्की वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान परिषद (TÜBİTAK) के समर्थन से इस परियोजना को अंजाम दिया है।
पर्यावरणीय संरक्षण पर प्रभाव
शोध से पता चला है कि बिर्च, ओक, एस्पन और अन्य प्रजातियों से युक्त ये जंगल पर्यावरण के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। बिर्च के पेड़, जो यहाँ की प्रमुख प्रजाति हैं, वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करते हैं। इसके अलावा, ये पेड़ जल स्रोतों की रक्षा करते हैं और मिट्टी के कटाव को रोकने में सहायक होते हैं, जिससे बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में कमी आती है।
यह क्षेत्र दुर्लभ वन्य जीवों और पौधों के आवास के रूप में भी महत्वपूर्ण है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इन जंगलों की जैव विविधता को संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह पारिस्थितिकी तंत्र न केवल वनस्पतियों के लिए, बल्कि यहाँ पाए जाने वाले विभिन्न प्राणियों के लिए भी सुरक्षा प्रदान करता है।
मानव स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव
जंगलों का संरक्षण मानव स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हो सकता है। शोध से पता चलता है कि इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को शुद्ध और स्वच्छ वायु मिलती है, जो श्वसन स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक है। ताजा हवा से फेफड़ों की बीमारियाँ कम होती हैं, जो शहरों में आमतौर पर प्रदूषण के कारण होती हैं। इसके अलावा, हरे-भरे जंगलों के बीच समय बिताने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, तनाव और चिंता में कमी आती है, और मानसिक शांति मिलती है।
औषधीय संभावनाएँ और पारंपरिक उपचार
शोधकर्ता यह भी अध्ययन कर रहे हैं कि इन जंगलों में पाए जाने वाले पौधे औषधीय उपयोग के लिए कैसे उपयुक्त हो सकते हैं। यह क्षेत्र पारंपरिक चिकित्सा के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकता है, और भविष्य में इन पौधों से स्वास्थ्य संबंधी नए उपचारों की खोज की जा सकती है।
लिटिल आगरी पर्वत के जंगलों में हो रहा यह वैज्ञानिक शोध न केवल तुर्की की जैव विविधता को समझने में मदद करेगा, बल्कि पर्यावरणीय संरक्षण और मानव स्वास्थ्य पर भी इसका दीर्घकालिक प्रभाव देखने को मिलेगा। यह अध्ययन जलवायु परिवर्तन से निपटने, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, और स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।