Russia-Ukraine war: लगभग तीन साल से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध ने न केवल युद्धक्षेत्रों को बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। यूक्रेन, जिसे यूरोप का “ब्रेडबास्केट” कहा जाता है, पहले गेहूं, जौ और जई जैसी फसलों की आपूर्ति कर लाखों लोगों का पेट भरता था। लेकिन युद्ध के कारण खेत तबाह हो गए और श्रमिकों को पलायन करना पड़ा, जिससे वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं।
भुखमरी में बढ़ोतरी और वैश्विक खाद्य संकट
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, 2022 में युद्ध के कारण अतिरिक्त 1.3 करोड़ लोग कुपोषण का शिकार हुए। 2021 में यूक्रेन की तीन प्रमुख अनाज फसलों का उत्पादन इतना था कि इससे 7.6 करोड़ वयस्कों का एक साल तक पेट भरा जा सकता था।
इस संकट का असर पड़ोसी देशों से ज्यादा अफ्रीकी और गरीब यूरोपीय देशों पर पड़ा। सिएरा लियोन, सोमालिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, मोंटेनेग्रो और बेलारूस जैसे देशों ने खाद्य कीमतों में भारी वृद्धि और आपूर्ति की कमी का सामना किया।
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और जैव विविधता पर प्रभाव
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम्स इंटीग्रेशन एंड सस्टेनेबिलिटी (CSIS) ने उपग्रह चित्रों और “मेटाकपलिंग फ्रेमवर्क” का उपयोग करके इस संकट के व्यापक प्रभावों का विश्लेषण किया। इस शोध के अनुसार, युद्ध ने न केवल खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं की कमजोरियों को उजागर किया बल्कि वैश्विक असमानताओं को भी सामने लाया।
अन्य देशों ने भरी कमी, लेकिन पर्यावरण को झेलना पड़ा नुकसान
यूक्रेन की कमी को पूरा करने के लिए अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख निर्यातक देशों ने उत्पादन बढ़ाया। हालांकि, इससे जैव विविधता पर भारी असर पड़ा। वैश्विक स्तर पर 8.48 मिलियन हेक्टेयर नई खेती शुरू की गई, जिससे प्राकृतिक आवासों को नुकसान पहुंचा।
अमेरिका, स्पेन, फ्रांस, भारत और ब्राजील जैसे देशों ने कृषि भूमि बढ़ाने के कारण जैव विविधता हानि का सामना किया।
ब्लैक सी ग्रेन इनिशिएटिव का निलंबन और स्थिति की गंभीरता
रूस द्वारा ब्लैक सी ग्रेन इनिशिएटिव से हटने के बाद हालात और बिगड़ गए। इस पहल ने अनाज के निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बिना, कृषि भूमि विस्तार और जैव विविधता हानि दोगुनी हो गई।
सबसे खराब स्थिति में, जब रूस और यूक्रेन दोनों का निर्यात बंद हो गया, तो कृषि भूमि का विस्तार तीन गुना और जैव विविधता की हानि 4.5 गुना अधिक हो गई।
भविष्य के लिए सबक और समाधान
इस संकट ने वैश्विक खाद्य प्रणालियों की कमजोरियों को उजागर किया। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के संकटों से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग, स्थानीय उत्पादन को मजबूत करना और सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना जरूरी है।
SCO देशों के लिए यह संकट एक सीख है। भारत, रूस, चीन और अन्य सदस्य देशों को स्थानीय खाद्य उत्पादन और वितरण को मजबूत करने, जैव विविधता संरक्षण को प्राथमिकता देने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भरता कम करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा पर ध्यान जरूरी
पोस्ट-2020 ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क को लागू करना और भू-राजनीतिक संघर्षों के प्रभावों को कम करना समय की मांग है। यह केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद नहीं करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को भी बढ़ावा देगा।
यूक्रेन युद्ध के सबक
जैसे-जैसे युद्ध जारी है, यह हमें याद दिलाता है कि हमारा विश्व कितना आपस में जुड़ा हुआ और कमजोर है। जैसा कि प्रोफेसर जियांगुओ “जैक” लियू कहते हैं, “दुनिया के एक कोने में हुआ एक घटना दूर-दराज के जीवन और परिदृश्यों को बदल सकती है।”
इससे सीखते हुए, SCO देशों को एकजुट होकर वैश्विक खाद्य संकट से निपटने और एक स्थिर और टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करना चाहिए।