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भारत में एक सींग वाले गैंडों का संरक्षण: ‘भारतीय राइनो विजन 2020’ की सफलता

by kishanchaubey
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Rhino: भारत में एक सींग वाले गैंडों की संख्या तेजी से घटने के बाद, 2005 में सरकार ने गैंडों के संरक्षण के लिए ‘भारतीय राइनो विजन 2020’ (IRV-2020) कार्यक्रम शुरू किया। इसका उद्देश्य गैंडों की आबादी को बढ़ाकर 3000 तक ले जाना था। यह कार्यक्रम असम सरकार, बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल, इंटरनेशनल राइनो फाउंडेशन (IRF), वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF), और यूनाइटेड स्टेट्स फिश एंड वाइल्डलाइफ सर्विस (USFWS) के सहयोग से चलाया गया।

मानस राष्ट्रीय उद्यान में गैंडों का पुनर्वास

2008 से 2013 के बीच, IRV-2020 के तहत काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य से 22 किशोर गैंडों को मानस राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया। इसका उद्देश्य था मानस में गैंडों की विलुप्त होती आबादी को फिर से बढ़ाना। स्थानांतरित गैंडों की संख्या बढ़ाने के लिए उन्हें रेडियो कॉलर के माध्यम से ट्रैक किया गया और उनके व्यवहार की निगरानी की गई।

गैंडों की संख्या और उनका अनुकूलन

अध्ययन के अनुसार, स्थानांतरित गैंडों ने मानस में खुद को सफलतापूर्वक ढाल लिया। उनके नए आवास का विस्तार 268 वर्ग किलोमीटर तक हुआ, जबकि पोबितोरा जैसे क्षेत्रों में यह केवल 16 वर्ग किलोमीटर था। मानस में गैंडों ने 38 बच्चों को जन्म दिया, जिससे उनकी कुल संख्या 50 हो गई।

मानस का आदर्श आवास

मानस राष्ट्रीय उद्यान में घास के मैदान, अर्ध-सदाबहार जंगल और मानस-बेकी नदी प्रणाली के चलते यह क्षेत्र गैंडों के लिए आदर्श है। यह क्षेत्र समुद्र तल से 50 से 250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो गैंडों के जीवन और प्रजनन के लिए अनुकूल है।

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संरक्षण के सकारात्मक परिणाम

WWF द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि स्थानांतरित गैंडों का व्यवहार जंगली गैंडों की तरह ही है। मानस में अवैध शिकार को रोकने के लिए शिविर बनाए गए और बुनियादी ढांचे में सुधार किया गया। इसके अलावा, स्थानीय समुदायों और उद्यान प्रबंधन के बीच सहयोग से संरक्षण को और मजबूती मिली।

चुनौतियां और सिफारिशें

हालांकि, गैंडों के संरक्षण में कई चुनौतियां बनी हुई हैं।

  1. आनुवंशिक विविधता बनाए रखना: अलग-अलग संरक्षित क्षेत्रों के बीच आनुवंशिक आदान-प्रदान की संभावना कम है। इसके लिए आनुवंशिक प्रबंधन योजनाएं लागू करने की जरूरत है।
  2. आवास प्रबंधन: गैंडों के लिए उपयुक्त घास के मैदान और आर्द्रभूमि का संरक्षण जरूरी है।
  3. शिकारी गतिविधियों पर रोक: वन विभाग और स्थानीय पुलिस ने शिकारी गतिविधियों को नियंत्रित करने में बड़ी भूमिका निभाई है, लेकिन इसे और मजबूत करना होगा।
  4. स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली: गैंडों को संभावित बीमारियों से बचाने के लिए एक मजबूत निगरानी प्रणाली लागू की जानी चाहिए।

स्थानीय समुदाय की भूमिका

स्थानीय समुदायों को गैंडों के संरक्षण में शामिल करने के लिए पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे न केवल रोजगार के अवसर पैदा होंगे बल्कि लोग संरक्षण के प्रति अधिक जागरूक होंगे।

सीमा पार सहयोग की जरूरत

भूटान के साथ सीमा पार सहयोग गैंडों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। इससे प्राकृतिक आवास के प्रबंधन और गैंडों की सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।

भविष्य के कदम

IRV-2020 जैसे कार्यक्रमों की सफलता को बनाए रखने के लिए सरकार को समय पर धनराशि जारी करनी होगी। साथ ही, वैज्ञानिक प्रबंधन और डीएनए डेटाबेस जैसे उपायों को लागू करने की जरूरत है।

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