भारत की सनातन सभ्यता और संस्कृति ने सदियों से मानव, प्रकृति, और कृषि के बीच एक गहरा संबंध स्थापित किया है। भारत में कृषि केवल आजीविका का साधन नहीं है, बल्कि यह धरती, मौसम और जीवन चक्र के प्रति गहरी श्रद्धा को दर्शाती है। आज, जब हम अभूतपूर्व वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, तो इन प्राचीन कृषि पद्धतियों को आधुनिक तकनीकों के साथ संतुलित करना अत्यंत आवश्यक हो गया है। इस परिवर्तन में हमारी युवा पीढ़ी की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है, जो न केवल कृषि को आजीविका के रूप में देख रही है, बल्कि इसे सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का एक माध्यम भी मान रही है।
असम में कृषि: परंपरा और प्रगति की कहानी
असम में कृषि सिर्फ आजीविका का साधन नहीं है, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक आत्मा का हिस्सा है। यहां कृषि को एक परंपरा के रूप में देखा जाता है, जो जीवन के हर पहलू से जुड़ी है। असम की कृषि को आधुनिक बनाने के प्रयास में राज्य का कृषि विभाग, केंद्र सरकार के सहयोग से कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। विशेष रूप से, कृषि यंत्रीकरण पर उप-मिशन (SMAM) ने असम की कृषि प्रणाली में नई ऊर्जा का संचार किया है। इस मिशन के तहत किसानों को कृषि उपकरण और वित्तीय संस्थानों का चयन करने की आजादी दी गई है।
इस पहल का एक प्रमुख हिस्सा है कस्टम हायरिंग केंद्रों का निर्माण, जिसके माध्यम से किसान धान लगाने की मशीन, मिनी कंबाइन, हार्वेस्टर जैसी अत्याधुनिक मशीनें किराए पर ले सकते हैं। इससे न केवल कृषि की उत्पादकता और कार्यक्षमता बढ़ी है, बल्कि युवाओं के लिए कृषि को एक आकर्षक विकल्प के रूप में पेश किया गया है।
असम में जैविक खेती और आधुनिकरण की दिशा में कदम
असम जैविक खेती का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभर रहा है। राज्य की प्राकृतिक पारिस्थितिकी के साथ जैविक खेती की रणनीति पूरी तरह मेल खाती है, जो वैश्विक स्वास्थ्य और पर्यावरणीय जागरूकता के अनुरूप है। असम बीज और जैविक प्रमाणन एजेंसी की स्थापना ने राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे असम के कृषि उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचने का अवसर मिला है।
इसके साथ ही, असम सरकार द्वारा किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड बांटे जा रहे हैं, जो उन्हें उनकी मिट्टी की पोषक तत्व संरचना की जानकारी प्रदान करते हैं। इस पहल ने किसानों को वैज्ञानिक आधार पर फसल चयन और उर्वरक उपयोग के निर्णय लेने में सक्षम बनाया है, जिससे उनकी उपज में सुधार हो रहा है।
कृषि का विविधीकरण और नवाचार
असम में कृषि का विविधीकरण भी जोर पकड़ रहा है। बागवानी, कृषि वानिकी, और संरक्षित खेती जैसी प्रणालियों ने राज्य की कृषि उत्पादन में विविधता लाई है। इसके अलावा, तिलहन, बीज उत्पादन, और बाजरा की खेती के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भी महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि और राज्य की खाद्य सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।
युवा शक्ति और कृषि में नवाचार
असम में कृषि भूमि की उपलब्धता में कमी की चुनौती को देखते हुए, राज्य का कृषि विभाग सक्षम भूमि उपयोग के लिए डेटा-आधारित खेती की पद्धतियों को बढ़ावा दे रहा है। हालांकि, कुछ चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं, जैसे खाद्यान्न का कम मूल्यवर्धन और प्रसंस्करण के लिए अन्य देशों पर निर्भरता। इससे निपटने के लिए कोल्ड स्टोरेज, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और गोदामों की स्थापना आवश्यक है।
राज्य में डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग जैसे कि प्रिसिजन फार्मिंग, एग्री स्टैक, वेब GIS, ब्लॉकचेन ट्रेसबिलिटी, और IoT जैसी तकनीकों को अपनाकर कृषि को तकनीकी रूप से सक्षम क्षेत्र में बदलने की दिशा में काम किया जा रहा है। यह कदम न केवल कृषि की कार्यक्षमता बढ़ाएंगे, बल्कि युवाओं को इस क्षेत्र में सार्थक योगदान देने के अवसर भी प्रदान करेंगे।