कृषि और किसान कल्याण विभाग (DA&FW) ने 18 और 19 नवंबर को विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश में एक क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किया। इसका उद्देश्य दक्षिणी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू विभिन्न कृषि योजनाओं की मध्यावधि समीक्षा करना था। सम्मेलन में विभाग के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी और आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और पुदुचेरी के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
सम्मेलन के प्रमुख बिंदु
- योजनाओं की प्रगति का मूल्यांकन:
- केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) के प्रभावी कार्यान्वयन की समीक्षा की गई।
- राज्य सरकारों को योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाने और समय पर फंड आवंटन सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया।
- आधुनिक पहल:
- मंत्रालय द्वारा हाल के वर्षों में शुरू की गई प्रमुख पहलों की जानकारी साझा की गई।
- कृषि बजट में वृद्धि और किसान हितैषी उपायों पर चर्चा की गई।
- बाधाओं का समाधान:
- राज्यों द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों, जैसे राज्य योगदान और सिंगल नोडल अकाउंट (SNA) बैलेंस से संबंधित मुद्दों को हल करने की रणनीति बनाई गई।
- SNA-SPARSH प्रणाली को लागू करने और अप्रयुक्त फंड्स को लौटाने पर जोर दिया गया।
राज्यों के लिए निर्देश
- उपयोगिता प्रमाण पत्र (UCs): समय पर जमा करना सुनिश्चित करें।
- राज्य स्तरीय सम्मेलन:
- क्षेत्रीय कृषि समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए राज्यों को अपने स्तर पर सम्मेलन आयोजित करने की सलाह दी गई।
- हर राज्य की अनूठी चुनौतियों और अवसरों को ध्यान में रखते हुए रणनीतियां तैयार की जाएं।
साझा प्रयास का महत्व
डॉ. चतुर्वेदी ने राज्यों को विश्वास दिलाया कि केंद्र सरकार उनके साथ साझेदार के रूप में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के विस्तार और किसानों की स्थिति सुधारने में केंद्र पूरा सहयोग देगा।
परिणामों की अपेक्षा
यह सम्मेलन भारत सरकार की समान और स्थायी कृषि विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। विभिन्न योजनाओं को अधिक प्रभावी तरीके से लागू करके यह पहल किसानों की आय बढ़ाने, कृषि ढांचे को मजबूत करने और क्षेत्रीय चुनौतियों को हल करने में मदद करेगी।