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New Delhi : विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (CSE) द्वारा किए गए एक ताजा विश्लेषण ने दिल्ली में वायु प्रदूषण के संकट को लेकर पारंपरिक समझ को चुनौती दी है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पराली जलाने की घटनाओं में गिरावट के बावजूद, पिछले दो सालों में राष्ट्रीय राजधानी में PM2.5 के स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- PM2.5 स्तर में वृद्धि:
- 2024 में दिल्ली का वार्षिक PM2.5 स्तर 104.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m³) तक पहुंच गया, जो 2023 की तुलना में 3.4% अधिक है।
- यह भारत के राष्ट्रीय मानक 40 µg/m³ से दोगुने से भी अधिक है।
- 2018 से 2022 के बीच सुधार और स्थिरता के बाद PM2.5 के स्तर में यह वृद्धि दर्ज की गई है।
- सर्दियों के प्रदूषण का असर:
- अक्टूबर से दिसंबर 2024 के बीच, दिल्ली के वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों ने प्रदूषण स्तर में 26% वृद्धि दर्ज की।
- इस दौरान 17 दिनों तक हवा का स्तर “गंभीर” या उससे भी खराब रहा।
- दो लंबे स्मॉग एपिसोड दर्ज हुए, जिनकी औसत तीव्रता क्रमशः 371 µg/m³ और 324 µg/m³ थी।
- पराली जलाने का प्रभाव कम:
- रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 71.2% की गिरावट दर्ज की गई।
- अक्टूबर-दिसंबर 2024 में आगजनी की घटनाएं 37,276 (2023) से घटकर 10,712 (2024) रह गईं।
- कुल मिलाकर, 2024 में आगजनी की वार्षिक घटनाएं 37.5% कम हो गईं।
दिल्ली को दोष छिपाने से बचना होगा
सीएसई के निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि अब दिल्ली पराली जलाने के धुएं के पीछे नहीं छिप सकती।
- “यह स्पष्ट है कि सर्दियों के दौरान पराली जलाने की घटनाओं में कमी के बावजूद, वायु प्रदूषण में कमी नहीं आई है। इससे पता चलता है कि प्रदूषण के अन्य स्रोतों पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है।”
उन्होंने यह भी कहा कि प्रदूषण से निपटने के लिए केवल सर्दियों के आपातकालीन उपाय पर्याप्त नहीं हैं। “प्रदूषण से पूरे साल निपटने के लिए व्यापक और ठोस कदम उठाने होंगे।”
प्रमुख कारण और समाधान:
- स्थानीय स्रोतों का प्रभाव:
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के भीतर निर्माण गतिविधियों, वाहनों से निकलने वाले धुएं, उद्योगों और अन्य स्थानीय स्रोतों का योगदान बढ़ा है। - प्रतिक्रियात्मक उपाय नहीं, दीर्घकालिक योजना जरूरी:
रॉयचौधरी ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए सालभर सक्रिय प्रयास किए जाने चाहिए।
समस्या का समाधान:
- वाहन प्रदूषण में कमी:
- सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करें।
- इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दें।
- निर्माण और उद्योग:
- निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण उपाय अपनाएं।
- प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर सख्त निगरानी रखें।
- जन जागरूकता:
- लोगों को स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करने और पर्यावरणीय नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करें।