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रातापानी बना मध्य प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व: बाघ संरक्षण की ओर बड़ा कदम

by kishanchaubey
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सोमवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार ने रातापानी वन्यजीव अभ्यारण्य को मध्य प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व घोषित किया। इस क्षेत्र में लगभग 90 बाघों का वास है। यह निर्णय मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में चल रही जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान आया, जिसे वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने दायर किया था।

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मुख्य तथ्य:

  • रातापानी टाइगर रिजर्व: 17 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद इसे मध्य प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।
  • 90 बाघों का घर: रायसेन और सीहोर जिलों में स्थित इस अभ्यारण्य में लगभग 90 बाघ निवास करते हैं।
  • PIL और कोर्ट का फैसला: उच्च न्यायालय के निर्देश और पर्यावरण कार्यकर्ता अजय दुबे की याचिका के बाद यह अधिसूचना जारी हुई।

रातापानी को टाइगर रिजर्व घोषित करने की प्रक्रिया और संघर्ष

लंबी प्रक्रिया और देरी

  • 2008: NTCA (नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथॉरिटी) ने रिजर्व के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी।
  • 2012: NTCA ने राज्य सरकार को रिमाइंडर भेजा, लेकिन अधिसूचना में देरी होती रही।
  • 2023: PIL में इंसानों और बाघों के संघर्ष और पर्यावरणीय क्षति के कारण तुरंत अधिसूचना की मांग की गई।

संघर्ष के कारण

  • बाघ-मानव टकराव:
    • बाघ भोजन की कमी और आवास क्षरण के कारण मानव बस्तियों की ओर बढ़ने लगे।
    • 2012 में एक बाघ की ग्रामीणों द्वारा हत्या इस संघर्ष का चरम था।
  • अतिक्रमण और अवसंरचना परियोजनाएं:
    • बफर ज़ोन में थर्मल पावर प्लांट, ट्रांसमिशन लाइन और रेलवे लाइन जैसी परियोजनाओं ने संरक्षण में रुकावटें पैदा कीं।

रातापानी का महत्व

  • सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला का हिस्सा: यह क्षेत्र बाघों के प्राकृतिक आवास और जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है।
  • पलायन मार्ग: सतपुड़ा और आसपास के अन्य वन क्षेत्रों से बाघ यहां आकर बसते हैं।

आगे का रास्ता और चुनौतियां

  • पर्यावरण संरक्षण:
    • बफर और कोर ज़ोन में चल रही परियोजनाओं के प्रभाव को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे।
  • मानव-वन्यजीव संघर्ष कम करना:
    • बाघों के लिए शिकार आधार और सुरक्षित आवास सुनिश्चित करना जरूरी है।
  • जनजागरूकता और स्थानीय भागीदारी:
    • स्थानीय समुदायों को संरक्षण योजनाओं में शामिल करना होगा।

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