थाईलैंड का वन्यजीवन इन दिनों चर्चा में है। सितंबर में पिग्मी हिप्पो ‘मू डेंग’ की लोकप्रियता के बाद अब गोल्डन टाइगर ‘आवा’ ने लोगों का ध्यान खींचा है। यह तीन साल की दुर्लभ बाघिन थाईलैंड के चियांग माई नाइट सफारी में रह रही है।
चियांग माई नाइट सफारी ने हाल ही में ‘आवा’ की खूबसूरत तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं, जो दुनिया भर में पशुप्रेमियों को खुश कर रही हैं।
आवा का जन्म और विशेषता
- आवा का जन्म 16 फरवरी 2021 को हुआ था। उसकी बहन का नाम लूना है।
- दोनों ने जन्म के तीन हफ्ते बाद सार्वजनिक रूप से अपनी पहली झलक दी।
- आवा और लूना के माता-पिता को 2015 में चेक गणराज्य और दक्षिण अफ्रीका से थाईलैंड लाया गया था।
- ये दोनों दुर्लभ बंगाल टाइगर वेरिएंट का हिस्सा हैं।
गोल्डन टाइगर: क्यों हैं खास?
गोल्डन टाइगर, जिन्हें सुनहरे बाघ भी कहा जाता है, बेहद दुर्लभ प्रजाति हैं। इनका सुनहरा रंग एक रेसिसिव जीन (दबा हुआ जीन) के कारण होता है। यह जीन इनकी खाल को सामान्य बंगाल टाइगर से अलग, खास बनाता है।
गोल्डन टाइगर जैसे जानवरों की संख्या बेहद कम है, और इनका संरक्षण वन्यजीव संरक्षण के लिए बेहद अहम है।
चियांग माई नाइट सफारी में आवा
जो लोग इन दुर्लभ बाघों को देखना चाहते हैं, वे चियांग माई नाइट सफारी के टाइगर वर्ल्ड जोन में हर दिन सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक आवा और लूना को देख सकते हैं।
पिग्मी हिप्पो ‘मू डेंग’ की लोकप्रियता
आवा से पहले थाईलैंड के खाओ खेओ ओपन जू में रहने वाले पिग्मी हिप्पो ‘मू डेंग’ ने सितंबर में सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियां बटोरी थीं। मू डेंग की क्यूट तस्वीरों और वीडियो ने उसे ग्लोबल स्टार बना दिया।
वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण पर प्रभाव
दुर्लभ प्रजातियों जैसे गोल्डन टाइगर और पिग्मी हिप्पो का संरक्षण पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- जैव विविधता का संरक्षण: गोल्डन टाइगर जैसी दुर्लभ प्रजातियां पर्यावरण में जैव विविधता बनाए रखने में मदद करती हैं।
- पर्यावरणीय संतुलन: शिकारी जीव, जैसे बाघ, पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखते हैं। यदि इनकी संख्या कम हो जाती है, तो यह अन्य प्रजातियों की जनसंख्या में असंतुलन पैदा कर सकता है।
- प्राकृतिक आवास का संरक्षण: इन जानवरों को बचाने के लिए उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करना जरूरी है, जिससे जंगलों की कटाई और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं कम हों।
स्वास्थ्य और पर्यटन पर प्रभाव
स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- दुर्लभ प्रजातियों का अस्तित्व इस बात का संकेत है कि हमारा पर्यावरण स्वस्थ है।
- बाघ जैसे शिकारी जीव पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखते हैं, जिससे मानव जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
पर्यटन पर प्रभाव:
- आवा और मू डेंग जैसे जानवर चिड़ियाघरों और वन्यजीव पार्कों के लिए बड़े आकर्षण का केंद्र बनते हैं।
- इनसे मिलने वाली आय का उपयोग वन्यजीव संरक्षण और अनुसंधान में किया जा सकता है।
- इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है और क्षेत्र का आर्थिक विकास होता है।
वन्यजीव संरक्षण की चुनौतियां
गोल्डन टाइगर और पिग्मी हिप्पो जैसी प्रजातियों को बचाने के लिए हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- प्राकृतिक आवास की कमी: जंगलों की कटाई और शहरीकरण के कारण इन प्रजातियों का आवास सिकुड़ता जा रहा है।
- शिकार और तस्करी: दुर्लभ प्रजातियों का अवैध शिकार और व्यापार इनकी आबादी को घटा रहा है।
- जलवायु परिवर्तन: तापमान में बदलाव और प्राकृतिक आपदाएं इन प्रजातियों के जीवन को कठिन बना रही हैं।
निष्कर्ष
थाईलैंड की गोल्डन टाइगर ‘आवा’ और पिग्मी हिप्पो ‘मू डेंग’ न केवल पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के महत्व को भी रेखांकित करते हैं। इनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए सरकार, संगठनों, और आम जनता को मिलकर प्रयास करना होगा। जैव विविधता का संरक्षण न केवल प्रकृति के लिए बल्कि मानव जाति के लिए भी अनिवार्य है।