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Rabi season 2025 : रबी सीजन 2025 के लिए गेहूं की बुवाई पूरी हो चुकी है। 3 जनवरी तक, पूरे देश में कुल 32 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बुवाई की गई। पिछले सप्ताह से इस आंकड़े में कोई बदलाव नहीं हुआ।
2024 और औसत के मुकाबले ज्यादा क्षेत्र
- 2024 के मुकाबले इस साल गेहूं की बुवाई का क्षेत्रफल 1.74% अधिक है।
- सामान्य औसत से तुलना करें तो, 2025 में यह क्षेत्र 2.4% अधिक है।
इससे यह स्पष्ट है कि किसान गेहूं की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं, जो बेहतर कीमत और स्थिर मांग का संकेत है।
अन्य फसलों का हाल: सरसों की बुवाई में गिरावट
- सरसों की बुवाई भी खत्म हो चुकी है, लेकिन 2024 के मुकाबले इसमें 5% की कमी आई है।
- इसकी वजह किसानों का गेहूं और चने जैसी अन्य फसलों की ओर रुझान है।
- खरीफ 2024 के दौरान तेल बीजों की कीमतें उम्मीद से कम रही थीं, जिससे किसानों का झुकाव दूसरी फसलों की ओर हो गया।
क्यों बढ़ी गेहूं की बुवाई?
- उत्तम जलवायु परिस्थितियां: इस बार ठंड का मौसम गेहूं के लिए अनुकूल है।
- उच्च मांग और कीमत: घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की मांग बढ़ रही है, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिलने की उम्मीद है।
- सरकार की नीतियां: न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि और बाजार स्थिरता ने गेहूं की बुवाई को बढ़ावा दिया।
सरसों की बुवाई में गिरावट क्यों?
- तेल बीजों की कीमतों में गिरावट: पिछली खरीफ फसल में किसानों को सरसों जैसी फसलों से अपेक्षित लाभ नहीं हुआ।
- अन्य फसलों की ओर झुकाव: चना और गेहूं जैसी फसलें अधिक लाभदायक साबित हो रही हैं।
2025 की रबी फसल में गेहूं की बुवाई का क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है, जो एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, सरसों जैसी फसलों की बुवाई में कमी तेल उत्पादन पर प्रभाव डाल सकती है।
सरकार को चाहिए कि वह किसानों को अन्य फसलों के लिए भी प्रोत्साहन दे और बाजार की स्थिरता सुनिश्चित करे ताकि विविध फसलें उगाने की प्रवृत्ति बनी रहे।
“गेहूं की बुवाई के ये आंकड़े न केवल कृषि क्षेत्र की प्रगति को दर्शाते हैं, बल्कि किसानों के बदलते रुझानों और उनकी प्राथमिकताओं की ओर भी इशारा करते हैं।”