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भारत में ताप विद्युत संयंत्रों से SO₂ नियंत्रण के लिए FGD की आवश्यकता पर सवाल: पर्यावरण और सेहत पर खतरे की घंटी

by reporter
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हाल ही में नीति आयोग की एक अनुशंसा ने भारत के ताप विद्युत संयंत्रों में फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन (FGD) प्रणाली की आवश्यकता को लेकर सवाल उठाए हैं। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (CSIR-NEERI) की एक रिपोर्ट के आधार पर यह सिफारिश की गई है कि ताप विद्युत संयंत्रों से SO₂ उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए FGD की आवश्यकता नहीं है। रिपोर्ट का दावा है कि भारत के ताप विद्युत संयंत्रों से निकलने वाले SO₂ का परिवेशी वायु गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं है, और केवल कुछ ही स्थानों पर SO₂ का स्तर निर्धारित सीमा से अधिक पाया गया है।

हालांकि, IIT दिल्ली के एक अध्ययन ने इसके विपरीत FGD प्रणाली की चरणबद्ध स्थापना की सिफारिश की थी। विशेषज्ञों का कहना है कि इस नई अनुशंसा से नीति निर्माताओं ने FGD प्रणाली की आवश्यकता पर पुनर्विचार कर SO₂ नियंत्रण के लिए बनी नीतियों को कमजोर करने का प्रयास किया है। वहीं, 2024 तक भारत के लगभग 60% ताप विद्युत संयंत्रों में FGD प्रणाली स्थापित या कार्यान्वित की जा रही है, जबकि बाकी संयंत्र भी विभिन्न चरणों में हैं।

पर्यावरण पर प्रभाव:

FGD प्रणाली का हटना वायु प्रदूषण को बढ़ावा देगा। SO₂, वायुमंडल में अन्य प्रदूषकों के साथ मिलकर कणीय पदार्थ (PM2.5) में बदल सकता है, जिससे वायु की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। SO₂ और NOx का मेल एसिड रेन का कारण बन सकता है, जिससे भूमि की उर्वरता, वनस्पतियों और जल स्रोतों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

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स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव:

SO₂ और PM2.5 जैसे प्रदूषक श्वसन और हृदय संबंधी रोगों का कारण बन सकते हैं। WHO के अनुसार, इन प्रदूषकों के लंबे समय तक संपर्क में आने से श्वसन रोग, हृदयाघात, और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ता है। बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों पर इसका विशेष प्रभाव पड़ता है, जिससे उनकी जीवन प्रत्याशा कम हो सकती है।

आर्थिक पहलू और चुनौती:

FGD की स्थापना महंगी है और बिजली उत्पादन लागत में वृद्धि कर सकती है, जिसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यावरण और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए यह लागत उठाना जरूरी है, अन्यथा इसका दीर्घकालिक प्रभाव बहुत अधिक गंभीर होगा।

SO₂ नियंत्रण पर यह नई नीति भारत में पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि ताप विद्युत संयंत्रों में FGD प्रणाली को अनिवार्य नहीं किया गया तो इससे वायु प्रदूषण और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं। नीति निर्माताओं को पर्यावरण और स्वास्थ्य की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर विचार करना चाहिए।

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