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दिल्ली में छोटी दूरी की यात्राओं के लिए अपर्याप्त है सार्वजनिक परिवहन, छोटी इलेक्ट्रिक बसें ला सकती हैं बदलाव

by kishanchaubey
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Delhi Bus

New Delhi: इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (ICCT) की एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि दिल्ली में रोजाना की छह में से चार यात्राएं चार किलोमीटर से कम दूरी की होती हैं, लेकिन शहर की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था अब भी लंबी दूरी की बसों पर निर्भर है, जो छोटी दूरी की शहरी आवाजाही के लिए उपयुक्त नहीं हैं। स्टडी में सुझाव दिया गया है कि मोहल्ला स्तर की यात्राओं के लिए छोटी, 9 मीटर लंबी इलेक्ट्रिक बसों को शुरू करके इस कमी को दूर किया जा सकता है।

“नेबरिंग पब्लिक ट्रांजिट सर्विसेज: सिचुएशनल एनालिसिस ऑफ बस बेस्ड पब्लिक ट्रांसपोर्ट सप्लाई इन दिल्ली” नाम की इस स्टडी में दिल्ली के बस नेटवर्क का स्थानिक विश्लेषण किया गया। जीआईएस डेटा, वार्ड स्तर के आंकड़े, दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (DTC), और दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मोडल ट्रांजिट सिस्टम (DIMTS) की रूट जानकारी के आधार पर यह पाया गया कि दिल्ली के 31 प्रतिशत शहरी इलाकों में 500 मीटर के दायरे में कोई बस स्टॉप नहीं है। यह दूरी भारत की ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट (TOD) नीति के तहत पैदल पहुंच के मानक के अनुरूप है।

स्टडी के अनुसार, दिल्ली में मेट्रो नेटवर्क के विस्तार और नई बसों की खरीद के बावजूद, कई इलाकों में सस्ती और भरोसेमंद लोकल ट्रांसपोर्ट की पहुंच सीमित है। देओली, जैतपुर, संगम विहार, मुस्तफाबाद, घोंडा, सैनिक एन्क्लेव, हरिनगर एक्सटेंशन, और प्रेम नगर जैसे वार्डों में 500 मीटर के दायरे में कोई बस स्टॉप नहीं है। इन इलाकों में संकरी गलियों और भौतिक बाधाओं के कारण पारंपरिक 12-मीटर लंबी बसें प्रभावी नहीं हैं।

रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि 9 मीटर लंबी इलेक्ट्रिक बसें, जो 7 मीटर या उससे चौड़ी सड़कों पर चल सकती हैं, दिल्ली की शहरी बनावट के लिए ज्यादा उपयुक्त हैं। ये बसें घने इलाकों में लास्ट-माइल कनेक्टिविटी बढ़ाने और ट्रैफिक व प्रदूषण कम करने में मदद कर सकती हैं।

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दिल्ली सरकार ने इस दिशा में कदम उठाते हुए दिल्ली इलेक्ट्रिक व्हीकल इंटरकनेक्टर (DEVI) योजना शुरू की है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा हरी झंडी दिखाकर शुरू की गई DEVI बसें उन मोहल्लों में चलाई जा रही हैं, जहां बड़ी बसें नहीं पहुंच पातीं। ICCT ने इस योजना के रूट मूल्यांकन और परामर्श में सहयोग किया है।

ICCT के भारत निदेशक अमित भट्ट ने जापान की कम्युनिटी बस और जर्मनी की क्वार्टियरबस्से जैसे मॉडलों का हवाला देते हुए कहा कि DEVI योजना की सफलता दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश के अन्य शहरों के लिए भी मिसाल बन सकती है। स्टडी से जुड़े रिसर्चर भाविक गोवंडे ने बताया कि जीआईएस-आधारित विश्लेषण से ट्रांजिट की पहुंच को समान बनाने में मदद मिलती है, जबकि रेवती प्रदीप ने जोर दिया कि छोटी इलेक्ट्रिक बसें स्थानीय स्तर पर बेहतर कनेक्टिविटी और स्वच्छ हवा सुनिश्चित कर सकती हैं।

मुख्य निष्कर्ष:

  • दिल्ली में 60% यात्राएं 4 किमी से कम और 80% 6 किमी से कम दूरी की हैं।
  • 31% शहरी इलाकों में 500 मीटर के दायरे में कोई बस स्टॉप नहीं।
  • द्वारका जैसे इलाकों में लोकल बसों की कमी के कारण लोग मोटर चालित या अनौपचारिक साधनों पर निर्भर हैं।
  • छोटी इलेक्ट्रिक बसें 5 किमी के दायरे में चलाकर बैटरी चार्जिंग और परिचालन दक्षता बढ़ाई जा सकती है।

ICCT की रिपोर्ट दिल्ली में मोहल्ला स्तर की ट्रांसपोर्ट योजना की जरूरत को रेखांकित करती है। छोटी इलेक्ट्रिक बसों और रूटों के पुनर्गठन के जरिए दिल्ली एक समावेशी और टिकाऊ सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था बना सकती है, जो सभी निवासियों की जरूरतें पूरी कर सके।

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