केरल के मट्टुपेट्टी में प्रस्तावित सीप्लेन लैंडिंग प्रोजेक्ट का वन विभाग ने कड़ा विरोध किया है। विभाग ने चेतावनी दी है कि इस परियोजना से स्थानीय वन्यजीवों, विशेष रूप से हाथियों, के प्राकृतिक आवास और उनके आवागमन में बाधा आ सकती है। इसके अलावा, यह परियोजना मानव-वन्यजीव संघर्ष को भी बढ़ा सकती है।
वन विभाग की आपत्ति
मुनार के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) जॉब जे नेरियमपरम्बिल ने इडुक्की जिला कलेक्टर को लिखे एक पत्र में कहा है कि मट्टुपेट्टी जलाशय, जहां सीप्लेन लैंडिंग की योजना है, पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है। यह जलाशय कई महत्वपूर्ण वन्यजीव अभयारण्यों और जंगलों के पास स्थित है।
प्रमुख पर्यावरणीय चिंताएँ:
- निकटवर्ती वन क्षेत्र:
- मट्टुपेट्टी जलाशय अनामुडी शोल राष्ट्रीय उद्यान से सिर्फ 3.5 किलोमीटर दूर है।
- इसके पास पंपाडुम शोलाई राष्ट्रीय उद्यान और कुरिंजीमाला अभयारण्य जैसे संवेदनशील क्षेत्र भी हैं।
- कन्नन देवन हिल्स रिजर्व, जो जंगली हाथियों का प्रमुख आवास है, जलाशय के करीब है।
- हाथियों और अन्य वन्यजीवों पर प्रभाव:
- जलाशय को हाथी और अन्य वन्यजीव राष्ट्रीय उद्यानों तक पहुँचने के लिए उपयोग करते हैं।
- सीप्लेन की आवाज और उसकी मौजूदगी इन जानवरों के आवागमन को बाधित कर सकती है।
- इससे हाथियों के प्रवास पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, जिससे उनके प्राकृतिक जीवन चक्र में व्यवधान आएगा।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष:
- मट्टुपेट्टी जलाशय क्षेत्र में हाथियों की लगातार मौजूदगी के कारण, सीप्लेन परियोजना से संघर्ष की घटनाएँ बढ़ सकती हैं।
- वन विभाग ने कहा कि इस क्षेत्र में हाथियों का आना-जाना आम है, जो स्थानीय लोगों और वन्यजीवों के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
वन विभाग की सिफारिशें
वन विभाग ने सुझाव दिया है कि परियोजना शुरू करने से पहले एक ठोस शमन योजना (mitigation plan) बनाई जाए और इसे राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से अनुमोदित कराया जाए। यह योजना पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने और मानव-वन्यजीव संघर्ष को प्रबंधित करने में मदद करेगी।
मट्टुपेट्टी क्षेत्र की पर्यावरणीय महत्वता
मुनार और मट्टुपेट्टी क्षेत्र वन्यजीवों की विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ जंगली हाथी अक्सर देखे जाते हैं, जो मट्टुपेट्टी कैटल ब्रीडिंग सेंटर और आसपास के घास के मैदानों में आते-जाते रहते हैं। यह क्षेत्र न केवल जैव विविधता का केंद्र है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
संभावित पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव
- वन्यजीव आवास पर प्रभाव:
- हाथियों और अन्य वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास में सीधा हस्तक्षेप होगा।
- उनके भोजन, पानी और आवास की व्यवस्था बाधित होगी।
- स्थानीय लोगों पर असर:
- हाथियों के आक्रामक होने की संभावना बढ़ेगी, जिससे ग्रामीण इलाकों में जान-माल का खतरा हो सकता है।
- खेती और अन्य गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- पर्यावरणीय असंतुलन:
- जलाशय और आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचेगा।
- शोर और प्रदूषण से स्थानीय वनस्पति और जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
निष्कर्ष
मट्टुपेट्टी में सीप्लेन लैंडिंग प्रोजेक्ट के विरोध में वन विभाग का रुख वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखते हुए उचित लगता है। यदि यह परियोजना शुरू की जाती है, तो इसका प्रभाव केवल जानवरों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि स्थानीय समुदाय और पूरे क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा। ऐसी किसी भी परियोजना को शुरू करने से पहले पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों का विस्तृत अध्ययन आवश्यक है।