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तमिलनाडु में जंगली हाथियों की जान बचाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली कारगर साबित हो रही है। राज्य के पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन विभाग के अनुसार, कोयंबटूर के मदुक्कराई वन क्षेत्र में इस तकनीक के इस्तेमाल से अब तक 2,500 बार हाथियों को सुरक्षित तरीके से रेलवे ट्रैक पार करने में मदद मिली है।
कैसे काम करती है AI आधारित चेतावनी प्रणाली?
यह अत्याधुनिक प्रणाली 12 ई-निगरानी टावरों पर लगे थर्मल और हाई-रिजॉल्यूशन कैमरों का उपयोग करती है।
- हाथियों की गतिविधियों को पहचानकर तुरंत अलर्ट जारी करती है।
- रेलवे पायलट और गश्ती दल को समय पर सतर्क किया जाता है ताकि ट्रेनें धीमी हो सकें और हाथी सुरक्षित पार कर सकें।
- स्थानीय आदिवासी युवा इस प्रणाली का संचालन करते हैं, जो जंगली जानवरों की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- कैमरे 360 डिग्री घूम सकते हैं और 1 किलोमीटर तक की दूरी कवर कर सकते हैं, जिससे हाथियों की सटीक लोकेशन का पता चलता है।
AI सिस्टम से हादसों में भारी गिरावट
वन विभाग के मुताबिक, फरवरी 2024 में यह प्रणाली शुरू की गई थी और मार्च 2025 तक इसके 5,011 अलर्ट जारी हुए।
- 150 से अधिक बार हाथियों ने ट्रैक पार किया, लेकिन एक भी दुर्घटना नहीं हुई।
- पहले, रात और सुबह की ट्रेनों के कारण हाथियों की मौतें ज्यादा होती थीं, लेकिन अब यह खतरा खत्म हो गया है।
- रेलवे द्वारा बनाए गए अंडरपास का उपयोग भी हाथी ज्यादा कर रहे हैं, जिससे उनकी सुरक्षा बढ़ी है।
हाथियों की सुरक्षा के लिए और क्या कदम उठाए गए?
- रेलवे ट्रैक के किनारे झाड़ियों को हटाया गया, जिससे हाथियों की आवाजाही को साफ देखा जा सके।
- प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा और लैंटाना जैसी आक्रामक झाड़ियों को हटाया गया, क्योंकि उनकी फली हाथियों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं।
- 130 ट्रेनों की गति को हाथियों की उपस्थिति के आधार पर नियंत्रित किया जाता है।
- AI सिस्टम के कारण अब हाथी गांवों में प्रवेश करने से रोके जा रहे हैं, जिससे मानव-हाथी संघर्ष भी कम हुआ है।
कहां-कहां लागू हुई यह तकनीक?
- तमिलनाडु-केरल सीमा के मदुक्कराई वन क्षेत्र में यह सबसे पहले लागू हुई।
- मरुथमलाई क्षेत्र में भी कैमरे लगाए गए हैं, ताकि जंगली हाथियों की आवाजाही को ट्रैक किया जा सके।
- वालयार और एट्टीमदाई रेलवे सेक्शन में यह प्रणाली सबसे ज्यादा प्रभावी साबित हुई है।
कितनी लागत आई इस प्रोजेक्ट में?
इस एआई आधारित चेतावनी प्रणाली पर कुल 7.24 करोड़ रुपये खर्च हुए।
- यह वन क्षेत्र 90 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
- 40 हेक्टेयर में प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा और 50 हेक्टेयर में लैंटाना की झाड़ियों को साफ किया गया।