Coimbatore, May 22, 2025: तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के मरुथमलाई पहाड़ी के पास एक गर्भवती हथिनी की मौत ने वन्यजीव प्रेमियों को झकझोर कर रख दिया है। बुधवार सुबह हुए पोस्टमॉर्टम में पता चला कि हथिनी 12 से 16 महीने के नर भ्रूण के साथ गर्भवती थी। इसके अलावा, हथिनी के आंतों में कई प्लास्टिक बैग भी मिले, जो यह दर्शाता है कि उसने सोमायमपलayam पंचायत के डंप यार्ड में बचे हुए भोजन की खोज की थी, जहां पिछले पांच साल से कचरा डाला जा रहा था।
पोस्टमॉर्टम में चौंकाने वाला खुलासा
पशु चिकित्सकों की एक टीम ने पोस्टमॉर्टम के दौरान गर्भावस्था का पता लगाया, हालांकि चार दिन तक हथिनी की सेहत की जांच करने के बावजूद उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। पशु चिकित्सकों में से एक ने स्वीकार किया कि स्वास्थ्य मूल्यांकन के दौरान गर्भावस्था का पता नहीं चल सका।
पोस्टमॉर्टम से यह भी संदेह जताया गया कि हथिनी की मौत कुछ महीने पहले लीवर और हृदय जैसे आंतरिक अंगों के विफल होने के कारण हो सकती है, जिसके चलते वह मरुथमलाई पहाड़ी के पास जंगल की सीमा पर बीमार होकर गिर गई थी। भ्रूण को अब चेन्नई के एडवांस्ड इंस्टीट्यूट फॉर वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन (AIWC) भेजा जाएगा।
डंप यार्ड बना हथिनी की मौत का कारण
हथिनी के आंतों में मिले प्लास्टिक बैग इस बात का सबूत हैं कि उसने डंप यार्ड में कचरे के बीच भोजन की तलाश की थी। सोमायमपलayam पंचायत द्वारा पिछले पांच साल से इस डंप यार्ड में कचरा डाला जा रहा था, जिसे वन्यजीवों, खासकर हथनियों के लिए खतरा माना जा रहा था।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें हथिनी को डंप यार्ड में कचरे के बीच भोजन की तलाश करते देखा गया। कोयंबटूर जिला कलेक्टर जी. गिरीयप्पनवर के निर्देश पर सोमवार (19 मई) को पंचायत ने कचरा डालना बंद किया।
हथिनी को बचाने की कोशिश नाकाम
हथिनी को शुक्रवार (17 मई) को मरुथमलाई पहाड़ी के पास बीमार अवस्था में लेटे हुए पाया गया था। रविवार (18 मई) को उसे स्लिंग में बांधकर क्रेन की मदद से उठाया गया और मंगलवार को हाइड्रोथेरेपी दी गई। चार अनुभवी पशु चिकित्सकों, जो तमिलनाडु के टाइगर रिजर्व और वन मंडल में काम कर चुके थे, ने चार दिन तक हथिनी की सेहत की जांच की, लेकिन गर्भावस्था का पता नहीं लगा सके।
शनिवार शाम को हथिनी का बछड़ा अपनी मां को जगाने की कोशिश करता हुआ देखा गया, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और लोगों का दिल दहला दिया।
वन्यजीव संरक्षणकर्ताओं का दर्द
वाइल्डलाइफ एंड नेचर कंजर्वेशन ट्रस्ट (WNCT) के संस्थापक एन. सादिक अली ने कहा, “यह दुखद है कि पशु चिकित्सा टीम गर्भावस्था का पता नहीं लगा सकी और केवल हथिनी की सेहत सुधारने पर ध्यान दिया गया।
अब समय आ गया है कि पशु चिकित्सा टीम को नवीनतम उपकरण उपलब्ध कराए जाएं और बीमार हथनियों के लिए तुरंत सुसज्जित एम्बुलेंस की व्यवस्था की जाए।” उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार को वन्यजीवों को बचाने के लिए पशु चिकित्सा टीम के लिए फंड आवंटित करना चाहिए।
कचरा प्रबंधन की लापरवाही
कोयंबटूर वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट (CWCT) के सचिव पी. शनमुगसुंदरम ने बताया कि 2022 में ही उन्होंने तत्कालीन जिला कलेक्टर को याचिका देकर स्थानीय निकायों से ठोस कचरा प्रबंधन नियमों का पालन करने की मांग की थी।
उन्होंने कहा, “2022 में मरुथमलाई हिल रोड पर हथनी के गोबर में मास्क, प्लास्टिक बैग और सैनिटरी नैपकिन मिले थे। डंप यार्ड को बंद करने की अपील के बावजूद पंचायत ने कचरा डालना जारी रखा, जिसके परिणामस्वरूप मां और बछड़े की कीमती जान चली गई।” उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में पंचायत डंप यार्ड पर मिट्टी डालने की प्रक्रिया में है, और कचरा डालना बंद करने से वन्यजीवों को राहत मिलेगी।