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प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़: 15 लोगों की मौत, प्रशासनिक लापरवाही या हमारी सामूहिक भूल ?

by kishanchaubey
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Prayagraj Mahakumbh: 28 जनवरी की रात 1 से 2 बजे के बीच प्रयागराज के अखाड़ा मार्ग के पास हुए इस हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस भगदड़ में 15 से अधिक श्रद्धालुओं की जान चली गई। यह सिर्फ प्रशासन की नाकामी नहीं, बल्कि हमारी धार्मिक आस्थाओं से जुड़ी अव्यवस्थित भीड़ और पर्यावरणीय अनदेखी का भी नतीजा है। सवाल यह उठता है कि आखिर गलती किसकी है—प्रशासन, श्रद्धालु या हम सभी?

क्या है हादसे की वजह?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं स्वीकार किया कि प्रयागराज में भीड़ नियंत्रण एक बड़ी समस्या बन चुकी थी।

  1. अनियंत्रित भीड़: प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन इस बार की भीड़ उम्मीद से कई गुना अधिक थी।
  2. बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री का विवादास्पद बयान: उन्होंने कहा था कि जो महाकुंभ नहीं आएगा, वह देशद्रोही है। यह बयान लाखों अनुयायियों को आकर्षित करने का कारण बना।
  3. प्रशासन की नाकामी: इतनी बड़ी संख्या में लोगों के आने की सूचना होने के बावजूद भीड़ प्रबंधन की ठोस योजना नहीं बनाई गई।
  4. पर्यावरणीय समस्याएं: गंगा नदी की क्षमता से कई गुना अधिक श्रद्धालु नदी में स्नान के लिए पहुंचे, जिससे जल प्रदूषण और जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

क्या अब स्नान पर रोक लगेगी?

नहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया है कि महाकुंभ में स्नान सहित सभी धार्मिक गतिविधियां जारी रहेंगी, लेकिन सुरक्षा और प्रबंधन को और मजबूत किया जाएगा।

गंगा सिर्फ नदी नहीं, जीवनधारा है

महाकुंभ के दौरान गंगा नदी की स्थिति बेहद चिंताजनक हो जाती है।

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  • नदी में कचरा और मल-मूत्र: स्नान के नाम पर साबुन, तेल, फूल, प्लास्टिक और अन्य कचरा गंगा में फेंका जाता है।
  • औद्योगिक प्रदूषण: महाकुंभ से पहले और बाद में गंगा में प्रदूषकों की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है।
  • अतिक्रमण: प्रयागराज में नदी किनारे अवैध निर्माणों के चलते जल निकासी बाधित होती है, जिससे बाढ़ और भगदड़ जैसी घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।

प्रबंधन की बड़ी चूक

  1. 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं का आगमन: प्रयागराज की क्षमता से कई गुना अधिक भीड़ जुटने की संभावना थी, लेकिन इसे नियंत्रित करने के उपाय नहीं किए गए।
  2. आपदा प्रबंधन संस्थानों की निष्क्रियता: सरकार के पास स्पष्ट रणनीति नहीं थी कि अगर भीड़ अनियंत्रित हो जाए तो उसे कैसे नियंत्रित किया जाए।
  3. तकनीकी विफलता: डिजिटल मॉनिटरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य तकनीकों का इस्तेमाल बेहतर प्रबंधन के लिए नहीं किया गया।

क्या सबक लिया जाना चाहिए?

  1. सस्टेनेबल प्लानिंग जरूरी: हर धार्मिक आयोजन के लिए पर्यावरणीय और प्रशासनिक योजना पहले से तैयार होनी चाहिए।
  2. गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने के प्रयास: गंगा को साफ रखने के लिए सख्त नियम बनाए जाएं और उनका कड़ाई से पालन हो।
  3. टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल: भीड़ नियंत्रण के लिए AI, CCTV, डिजिटल टिकटिंग और लाइव ट्रैकिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए।
  4. धार्मिक उकसावे पर रोक: बिना सोचे-समझे भीड़ को बढ़ावा देने वाले बयानों पर कानूनी कार्रवाई हो।
  5. आपदा प्रबंधन को मजबूत किया जाए: राज्य और केंद्र सरकारों को इस प्रकार की घटनाओं के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना बनानी चाहिए।

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