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न्यूज हेडलाइन: पुंछ नदी में कचरा डंपिंग पर राजा मुजफ्फर भट की NGT को चेतावनी, JKPCC के दावों का खंडन

by kishanchaubey
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पर्यावरण कार्यकर्ता राजा मुजफ्फर भट ने 16 अप्रैल 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर पुंछ नदी के किनारों पर अवैध कचरा डंपिंग के खिलाफ गंभीर सवाल उठाए हैं। भट ने जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति (JKPCC) के दावों का खंडन करते हुए कहा कि नदी के किनारे ठोस और जैव-चिकित्सा कचरे का अवैध डंपिंग जारी है, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रहा है।

यह मामला शेर-ए-कश्मीर पुल से पुंछ नदी और बेलार नाले के संगम तक के क्षेत्र से जुड़ा है, जो पीने के पानी का महत्वपूर्ण स्रोत है।

JKPCC के दावों पर सवाल

JKPCC ने 21 दिसंबर 2024 को अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि पुंछ जिले में ठोस कचरे के प्रबंधन के लिए कदम उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि 15,000 मीट्रिक टन कचरे में से 5,000 मीट्रिक टन हटाया जा चुका है और शेष कचरा जनवरी 2025 तक साफ कर दिया जाएगा।

इसके अलावा, पुंछ और सुरनकोट में कचरा प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की गई हैं, और नियमों के उल्लंघन के लिए पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति (EC) भी लगाई गई है।

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हालांकि, भट ने अपनी NGT रिपोर्ट में इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि पुंछ और सुरनकोट में कोई प्रसंस्करण इकाई मौजूद नहीं है। उनके निरीक्षण में केवल एक लाल रंग का शेड नदी के किनारे मिला, जिसे कचरा प्रसंस्करण इकाई नहीं कहा जा सकता।

उन्होंने बताया कि यह शेड ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का उल्लंघन है, क्योंकि नदी के किनारे ऐसी इकाइयां बनाना अवैध है।

जमीनी हकीकत: ताजा कचरा डंपिंग जारी

भट ने साइट का दौरा कर पाया कि पुराने (legacy) कचरे को हटाने के बजाय, पुंछ नगर परिषद द्वारा ताजा कचरा डंप किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है, कचरा लगातार नदी में बह रहा है।”

भट ने वीडियोग्राफिक साक्ष्य भी एकत्र किए, जो दर्शाते हैं कि अवैध डंपिंग के कारण पुंछ नदी में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। उन्होंने JKPCC के जनवरी 2025 तक कचरा साफ करने के दावे को भी अवास्तविक करार दिया।

पुंछ नदी, जो झेलम की सहायक नदी है, पुंछ, सेहरा, टट्टा पानी, कोटली, और मीरपुर जैसे कस्बों के लिए महत्वपूर्ण है। यह नदी निचले इलाकों में रहने वाली आबादी के लिए पीने के पानी का प्रमुख स्रोत है।

कचरे के कारण नदी का प्रदूषण न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन रहा है।

NGT की कार्रवाई और जुर्माना

NGT ने इस मामले में पहले भी कठोर रुख अपनाया है। मार्च 2024 में, JKPCC ने पुंछ नगर परिषद पर 81 लाख रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया था। मई 2024 में इसे बढ़ाकर 1.62 करोड़ रुपये कर दिया गया। सितंबर 2024 में, NGT ने पुंछ के जिला मजिस्ट्रेट पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया, क्योंकि उन्होंने JKPCC द्वारा लगाए गए जुर्माने की वसूली में कार्रवाई नहीं की थी।

NGT ने सितंबर 2024 में JKPCC, पुंछ नगर परिषद, और उपायुक्त को सुंर नदी (पुंछ नदी का हिस्सा) के किनारे कचरा डंपिंग पर ताजा रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। भट ने अपनी ताजा रिपोर्ट में इन प्रयासों को अपर्याप्त बताया है।

पुंछ में कचरा प्रबंधन की स्थिति

पुंछ नगर परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने जुलाई 2024 की रिपोर्ट में स्वीकार किया था कि वार्ड नंबर 11 में 50,000 टन पुराना कचरा जमा है। रोजाना 11 टन कचरे में से केवल 8 टन संसाधित हो रहा है, जिससे 3 टन असंसाधित कचरा पुराने ढेर में जुड़ रहा है।

हालांकि, पिछले साल डेगवार में नगर परिषद को भूमि आवंटित की गई थी, और 2.13 करोड़ रुपये की निविदाएं सामग्री रिकवरी सुविधा, खाद गड्ढे, और पुराने कचरे के प्रसंस्करण के लिए जारी की गई थीं।

राजस्थान की कंपनी वीवो वाइस ने 15,000 मीट्रिक टन पुराने कचरे को संसाधित किया है, और शेष कचरे के निपटान के लिए निविदाएं जारी की गई हैं। शंकर नगर में गीले कचरे के लिए एक कम्पोस्ट सेंटर और सुरनकोट में 5 टन क्षमता की सामग्री रिकवरी सुविधा स्थापित की गई है।

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