बुधवार को उत्तर भारत के कई राज्यों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुँच गया है, जिसमें दिल्ली, हरियाणा, और पंजाब सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, बुधवार सुबह 10 बजे दिल्ली के आनंद विहार में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 460 से ऊपर था, जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। हरियाणा के गुरुग्राम में AQI 341 और उत्तर प्रदेश के नोएडा में 349 रिकॉर्ड किया गया।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पहले ही चेतावनी दी थी कि बुधवार सुबह दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग (धुंध और प्रदूषण का मिश्रण) रहेगा। इसके साथ ही 8-10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी।
प्रदूषण का कारण और पर्यावरण पर असर
सर्दियों की शुरुआत से पहले दिल्ली और एनसीआर के क्षेत्रों में हर साल प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ जाता है। इसका मुख्य कारण है खेतों में पराली जलाना, वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल, और औद्योगिक इकाइयों से होने वाला उत्सर्जन। सर्दियों में हवा की गति धीमी हो जाती है, जिससे प्रदूषक तत्व हवा में रुक जाते हैं और प्रदूषण का स्तर बढ़ता जाता है।
प्रदूषण से न केवल वातावरण में धुंधलापन और दृश्यता कम होती है, बल्कि यह वातावरण की संरचना को भी प्रभावित करता है। इसका असर हमारे पारिस्थितिकी तंत्र पर भी पड़ता है, जैसे कि पेड़-पौधों के विकास में बाधा आना और जलस्रोतों में प्रदूषक तत्वों का मिलना।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
प्रदूषण का असर हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से पड़ता है। AQI 300 से ऊपर होने पर यह सभी उम्र के लोगों के लिए हानिकारक माना जाता है, जबकि 400 से ऊपर पहुँचने पर यह स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक स्थिति है। वायु में मौजूद हानिकारक कण, जैसे कि पीएम 2.5 और पीएम 10, फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और गंभीर सांस संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
स्वास्थ्य समस्याएँ:
- श्वसन संबंधी रोग: प्रदूषण के कारण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और अन्य फेफड़ों की बीमारियाँ बढ़ जाती हैं।
- दिल की बीमारियाँ: लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से दिल के दौरे और उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ जाता है।
- आँखों और गले में जलन: प्रदूषण के कारण आँखों में जलन, खुजली और गले में खराश होना आम हो जाता है।
- बच्चों और बुजुर्गों पर विशेष असर: बच्चों का श्वसन तंत्र कमजोर होता है और बुजुर्गों में इम्यूनिटी कम होती है, जिससे वे प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
प्रदूषण से बचाव के उपाय
- मास्क पहनें: बाहर निकलते समय N95 या अच्छे फ़िल्टर वाले मास्क का उपयोग करें।
- बाहर जाने से बचें: जब तक आवश्यक न हो, प्रदूषण के उच्च स्तर वाले दिनों में बाहर जाने से बचें।
- घर में एयर प्यूरीफ़ायर का उपयोग करें: घर की वायु को साफ रखने के लिए एयर प्यूरीफ़ायर का उपयोग किया जा सकता है।
- पौधों का उपयोग करें: एलोवेरा, स्नेक प्लांट और मनी प्लांट जैसे पौधे घर में हवा को साफ रखने में मदद करते हैं।
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार और नागरिकों को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। सख्त कानूनों के साथ-साथ लोगों में जागरूकता बढ़ाकर ही हम एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।