पाकिस्तान के लाहौर शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वरिष्ठ मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा कि “भारत से लाहौर की ओर आने वाली हवा” लाहौर में धुंध (स्मॉग) के खतरनाक स्तर का कारण बन रही है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की पर्यावरण मंत्री औरंगजेब ने कहा कि वह सोमवार को इस मुद्दे पर भारत के साथ मिलकर धुंध से निपटने के उपायों पर चर्चा करने के लिए विदेश कार्यालय को पत्र लिखेंगी।
पाकिस्तान के पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने भी हाल ही में संकेत दिए थे कि वह भारतीय पंजाब के मुख्यमंत्री से बात करके एक संयुक्त प्रयास पर विचार कर सकती हैं।
सप्ताहांत में लाहौर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) एक रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया, जिसमें पाकिस्तान-भारत सीमा के पास AQI 1900 तक चला गया। स्विस समूह IQAir और पंजाब पर्यावरण संरक्षण विभाग के अनुसार, हवा में छोटे कण PM 2.5 का स्तर 450 के करीब पहुंच गया, जो कि खतरनाक माना जाता है। मंत्री के अनुसार, अमृतसर और चंडीगढ़ से आने वाली हवाएं AQI बढ़ा रही हैं और यह स्थिति एक हफ्ते तक जारी रहने की संभावना है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे घर से बाहर जाने से बचें, खासकर बुजुर्गों और बच्चों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी।
लाहौर में प्राथमिक स्कूल एक हफ्ते के लिए बंद
प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए पाकिस्तानी अधिकारियों ने लाहौर में प्राथमिक स्कूलों को एक सप्ताह के लिए बंद करने का आदेश दिया है। यह बंद सोमवार से शुरू हुआ है।
पंजाब पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1997 के तहत जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि 4 नवंबर 2024 से 9 नवंबर 2024 तक लाहौर के सभी सार्वजनिक और निजी स्कूलों में कक्षा 5 तक की सभी कक्षाएं बंद रहेंगी।
इसके अलावा, सरकार ने लाहौर के निवासियों को फेस मास्क पहनने के निर्देश दिए हैं। “ग्रीन लॉकडाउन” के हिस्से के रूप में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम करने का निर्देश दिया गया है। ऑटो रिक्शा चलाने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है, शादी हॉल रात 10 बजे तक बंद करने के आदेश दिए गए हैं और प्रदूषण को कम करने के लिए कृत्रिम बारिश की योजना भी बनाई जा रही है।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
लाहौर में गंभीर वायु प्रदूषण का स्तर पर्यावरण और स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहा है। हवा में PM 2.5 जैसे हानिकारक कण सांस संबंधी बीमारियों को जन्म दे सकते हैं, जिससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और हृदय रोग जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। धुंध की वजह से दृश्यता कम हो रही है, जो सड़क दुर्घटनाओं का कारण भी बन सकती है। बच्चों और बुजुर्गों को विशेष खतरा है, क्योंकि उनका श्वसन तंत्र अधिक संवेदनशील होता है।