दिल्ली, जो कभी इतिहास और आधुनिकता का प्रतीक थी, आज वायु और जल प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रही है। सर्दियों में प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने से यह संकट और गहरा जाता है। जहरीली हवा, घना कोहरा और यमुना नदी में झाग की मोटी परतें दिल्ली की बिगड़ती पर्यावरणीय स्थिति का कड़वा सच बयां करती हैं।
वायु प्रदूषण: दिल्ली की सांसों पर संकट
दिल्ली की हवा दुनिया की सबसे जहरीली हो गई है। सर्दियों में यह समस्या और बढ़ जाती है, क्योंकि ठंडी हवाएं प्रदूषण को ज़मीन के करीब रोक देती हैं। इसके पीछे कई कारण हैं:
- जनसंख्या और गाड़ियां: दिल्ली की घनी आबादी और लाखों वाहनों से निकलने वाला धुआं।
- निर्माण कार्य: बड़े पैमाने पर चल रहे निर्माण से उड़ती धूल।
- उद्योग: शहर और उसके आसपास के कारखानों से निकलने वाला प्रदूषण।
- फसल जलाना: पंजाब और हरियाणा में फसल अवशेष जलाने से निकलने वाला धुआं।
इन सबका असर सर्दियों में घने धुंध और जहरीले स्मॉग के रूप में दिखता है, जिससे दिल्ली के लोग बुरी तरह प्रभावित होते हैं।
स्वास्थ्य पर असर
वायु प्रदूषण का सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ता है:
- श्वसन रोग: दमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के संक्रमण के मामले बढ़ जाते हैं।
- दिल की बीमारियां: लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से दिल और रक्तवाहिनियों पर बुरा असर पड़ता है।
- कैंसर का खतरा: जहरीले कणों की लंबे समय तक मौजूदगी कैंसर का कारण बन सकती है।
- बच्चों और बुजुर्गों पर इसका सबसे बुरा असर पड़ता है। अस्पतालों में सांस से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या सर्दियों में तेजी से बढ़ जाती है।
जल प्रदूषण: यमुना नदी का बिगड़ता हाल
दिल्ली की यमुना नदी भी प्रदूषण की चपेट में है। इसमें हर साल झाग बनता है, खासकर त्योहारों के समय जब लोग इसमें स्नान करते हैं। यह झाग जहरीले रसायनों, औद्योगिक कचरे और बिना साफ किए हुए सीवेज के कारण बनता है।
- रसायन और झाग: डिटर्जेंट में मौजूद फॉस्फेट्स और औद्योगिक कचरा झाग बनने का मुख्य कारण है।
- अमोनिया का स्तर: यमुना में अमोनिया का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है।
- गंदगी की सफाई में रुकावट: इस साल पर्याप्त बाढ़ न आने के कारण नदी की सफाई प्राकृतिक रूप से नहीं हो पाई।
पर्यावरण पर असर
- नदी के किनारे हुए अतिक्रमण और जलग्रहण क्षेत्रों के खत्म होने से यमुना की प्राकृतिक सफाई रुक गई है।
- यमुना के पानी में ऑक्सीजन की कमी और प्रदूषण से जलीय जीवन खत्म हो रहा है।
- झाग और प्रदूषित पानी के संपर्क में आने वाले लोग खतरनाक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।
सरकार की कोशिशें और नाकामी
दिल्ली सरकार ने 2025 तक यमुना को साफ करने का वादा किया था, जिसे अब 2026 तक बढ़ा दिया गया है। इसके लिए भारी फंड आवंटित किया गया, लेकिन ठोस परिणाम नहीं दिखे। दिल्ली आज भी गंगा और भूजल पर निर्भर है।
मुख्य समस्या:
- यमुना नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित करने वाले बांध।
- बाढ़ के मैदानों पर अवैध निर्माण।
- नदियों में बिना शोधन के कचरा फेंकना।
न्यायपालिका और कानून का हस्तक्षेप
सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने कई आदेश जारी किए हैं, जैसे:
- फसल जलाने पर रोक।
- यमुना में औद्योगिक कचरे का निपटान रोकना।
लेकिन इन आदेशों का पालन सख्ती से नहीं किया गया।
समाधान की राह
दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के लिए इन कदमों की जरूरत है:
- जन जागरूकता: लोग प्रदूषण के कारण और इसके नतीजों को समझें।
- सख्त कानून: प्रदूषण फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई।
- सामूहिक प्रयास: दिल्ली और आसपास के राज्यों को मिलकर समाधान ढूंढना होगा।
- पर्यावरण संरक्षण: अतिक्रमण रोकना, अधिक पेड़ लगाना और जल स्रोतों की सुरक्षा।
निष्कर्ष
दिल्ली का प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संकट है। अगर अभी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में यह समस्या और भी भयावह हो जाएगी। सभी की भागीदारी और स्थायी प्रयासों से ही इस संकट का समाधान संभव है।