दिल्ली में बुधवार को वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। शहर के विभिन्न इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) “गंभीर” श्रेणी में दर्ज किया गया। यहां कुछ इलाकों के AQI स्तर हैं:
- अलीपुर: 490
- आनंद लोक: 504
- आनंद विहार: 591
- अशोक विहार फेज 1: 522
- अशोक विहार फेज 2: 527
- अशोक विहार फेज 3 और 4: 634
- दिल्ली कैंट: 258
- द्वारका सेक्टर 11: 521
- ग्रेटर कैलाश II: 256
- जीटीबी नगर: 617
स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव
खराब हवा की वजह से दिल्ली के लोगों को सांस लेने में दिक्कत, खांसी, गले में जलन और आंखों में खुजली जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। खासकर बुजुर्ग, बच्चे और अस्थमा के मरीजों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक है। अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों के मामलों में तेजी देखी जा रही है।
दिल्ली सरकार ने सभी अस्पतालों को निर्देश दिए हैं कि वे मरीजों के लिए विशेषज्ञों की टीमें तैयार करें और सांस संबंधी बीमारियों के मामलों पर नजर रखें। आउट पेशेंट (OPD) और इन पेशेंट (IPD) के आंकड़ों की दैनिक रिपोर्ट मांगी गई है ताकि स्थिति को बेहतर तरीके से संभाला जा सके।
प्रदूषण के स्रोत और कदम
दिल्ली के प्रदूषण में करीब 16% योगदान वाहन उत्सर्जन का है। मंगलवार से ही BS-IV और पुराने डीजल वाहनों पर रोक लगा दी गई है, जो दिल्ली में पंजीकृत हैं। केवल जरूरी सेवाओं से जुड़े वाहनों को अनुमति दी गई है। यह रोक 18 नवंबर सुबह 8 बजे से लागू की गई।
हालांकि, पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण के आंकड़े लगातार दूसरे दिन उपलब्ध नहीं हो सके, जिससे प्रदूषण के सभी स्रोतों को ट्रैक करने और नियंत्रित करने में दिक्कत हो रही है।
इमरजेंसी उपाय: क्लाउड सीडिंग की मांग
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि एक आपात बैठक बुलाई जाए। इस बैठक में दिल्ली सरकार, IIT कानपुर, और केंद्रीय विभागों (जैसे DGCA, गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय) को शामिल करने की मांग की गई है ताकि क्लाउड सीडिंग जैसे आपात उपायों को लागू किया जा सके। क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश करवाई जा सकती है, जो प्रदूषण के कणों को जमीन पर बैठाने में मदद कर सकती है।
सरकार और नागरिकों की जिम्मेदारी
दिल्ली सरकार ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के चरण IV को सख्ती से लागू करने के लिए वाहन चेकिंग अभियान शुरू किया है। नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी—वाहनों का कम उपयोग करें, सार्वजनिक परिवहन का अधिक इस्तेमाल करें और प्रदूषण बढ़ाने वाली गतिविधियों से बचें।
पर्यावरणीय प्रभाव
इस खतरनाक प्रदूषण का असर न केवल स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण पर भी पड़ रहा है। पेड़-पौधों की वृद्धि धीमी हो रही है, मृदा की उर्वरता कम हो रही है, और जीव-जंतुओं के प्राकृतिक आवास पर खतरा बढ़ रहा है। यह स्थिति जलवायु परिवर्तन को भी तेज कर रही है।
समाप्ति
दिल्ली के लिए यह वक्त बेहद गंभीर है। सरकार, नागरिक और विशेषज्ञों को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजना होगा। प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है।