आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) की नई रिपोर्ट ‘मॉनिटरिंग ट्रेड इन प्लास्टिक वेस्ट एंड स्क्रैप 2025’ बताती है कि दुनिया में प्लास्टिक कचरे का व्यापार कम हो रहा है, लेकिन अमीर देश अब भी गरीब और मध्यम आय वाले देशों को ढेर सारा प्लास्टिक कचरा भेज रहे हैं।
यह कचरा घटिया क्वालिटी का होता है, जिसे रिसाइकिल करना मुश्किल है और यह पर्यावरण व लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है।
क्या कहती है रिपोर्ट?
- 2022 से 2023 के बीच दुनिया में प्लास्टिक कचरे का व्यापार 3.4% कम हुआ। पिछले 10 सालों में यह व्यापार कुल 50% घटा है।
- लेकिन, ओईसीडी देशों (जैसे जापान, अमेरिका, जर्मनी) से गैर-ओईसीडी देशों (जैसे मलेशिया, वियतनाम, इंडोनेशिया) को भेजा जाने वाला कचरा 15% (2.2 लाख टन) बढ़ा है।
- ओईसीडी देशों के बीच इस कचरे का व्यापार 2% (1.2 लाख टन) कम हुआ।
गरीब देशों पर बोझ
मलेशिया, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों को सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा भेजा जा रहा है। मलेशिया इसमें सबसे बड़ा आयातक है। यह कचरा इतना खराब होता है कि इसे रिसाइकिल करना मुश्किल है। इन देशों में कचरे को सही तरीके से निपटाने की सुविधाएं कम हैं, जिससे हवा, पानी और जमीन प्रदूषित होती है। इससे लोगों की सेहत को भी खतरा है।
अमीर देशों की चाल
रिपोर्ट बताती है कि ओईसीडी देश अपने बीच के व्यापार में बेहतर क्वालिटी का कचरा बेचते हैं, लेकिन गरीब देशों को सस्ता और खराब कचरा भेजते हैं। उदाहरण के लिए, 2023 में विनाइल क्लोराइड जैसे कचरे का 19.3% (लगभग 30,000 टन) गैर-ओईसीडी देशों को भेजा गया, जिसमें जापान का बड़ा हाथ था।
नियमों का असर
2018 में चीन ने प्लास्टिक कचरे के आयात पर रोक लगाई, जिससे वैश्विक व्यापार में बड़ी गिरावट आई। 2021 में ओईसीडी देशों ने नए नियम बनाए ताकि खतरनाक और मुश्किल कचरे का व्यापार कम हो। लेकिन 2023 में गैर-ओईसीडी देशों को भेजे गए कचरे की मात्रा बढ़ने से साफ है कि ये नियम पूरी तरह काम नहीं कर रहे।
कौन से देश भेज रहे कचरा?
जापान, नीदरलैंड, जर्मनी, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा भेजने वाले देश हैं। हालांकि, जर्मनी, बेल्जियम, स्लोवेनिया और पोलैंड जैसे 22 ओईसीडी देशों ने अपने निर्यात में कमी की है।
क्या है समस्या?
गरीब देशों को भेजा जाने वाला कचरा उनके लिए बड़ी मुसीबत है। उनके पास इसे साफ करने या रिसाइकिल करने के साधन नहीं हैं। इससे नदियां, जमीन और हवा प्रदूषित होती है, और लोगों को बीमारियां हो रही हैं।