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प्लास्टिक प्रदूषण: वैश्विक अर्थव्यवस्था का वरदान, पर्यावरण का अभिशाप

by kishanchaubey
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Plastic pollution: प्लास्टिक ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को गति दी है, लेकिन इसका पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। बढ़ता प्लास्टिक प्रदूषण अब वैश्विक संकट बन चुका है, खासकर विकासशील देशों पर इसका असर ज्यादा है, जहां कचरा प्रबंधन की क्षमता सीमित है।

75 फीसदी प्लास्टिक कचरे में तब्दील

संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास संगठन (यूएनसीटीएडी) की ‘ग्लोबल ट्रेड अपडेट’ रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में वैश्विक स्तर पर 43.6 करोड़ मीट्रिक टन प्लास्टिक का उत्पादन हुआ, जिसका व्यापार 1.1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो वैश्विक व्यापार का 5 फीसदी है।

कुल उत्पादन का 78 फीसदी (लगभग 32.3 करोड़ मीट्रिक टन) अंतरराष्ट्रीय व्यापार में शामिल है। चिंताजनक बात यह है कि अब तक उत्पादित 75 फीसदी प्लास्टिक कचरे में बदल चुका है, जो समुद्रों और पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है। यह खाद्य श्रृंखला, जैव विविधता और छोटे द्वीपीय व तटीय देशों के विकास को खतरे में डाल रहा है।

सस्ता प्लास्टिक, महंगे पर्यावरण-अनुकूल विकल्प

रिपोर्ट बताती है कि पिछले तीन दशकों में प्लास्टिक और रबर उत्पादों पर औसत एमएफएन (मोस्ट फेवर्ड नेशन) शुल्क 34 फीसदी से घटकर 7.2 फीसदी हो गया है, जिससे प्लास्टिक सस्ता हो गया। वहीं, कागज, बांस, प्राकृतिक रेशों और समुद्री शैवाल जैसे पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों पर औसतन 14.4 फीसदी शुल्क लगता है। यह असमानता पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों में निवेश को हतोत्साहित करती है, खासकर विकासशील देशों में।

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प्रदूषण आगे, नीतियां पीछे

प्लास्टिक प्रदूषण जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता हानि जैसी तीन प्रमुख पर्यावरणीय चुनौतियों से जुड़ा है। फिर भी, प्लास्टिक उत्पादन से लेकर निपटान तक एकसमान नियम लागू करने वाली कोई अंतरराष्ट्रीय संधि नहीं है। चूंकि 98 फीसदी प्लास्टिक जीवाश्म ईंधन से बनता है, इसलिए बिना ठोस कदमों के प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ेगा।

2023 में गैर-प्लास्टिक विकल्पों का वैश्विक व्यापार 48,500 करोड़ डॉलर तक पहुंचा, जो विकासशील देशों में 5.6 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। इसमें कांच, प्राकृतिक रेशे और बायोडिग्रेडेबल उत्पाद शामिल हैं। हालांकि, ऊंचे शुल्क, सीमित बाजार पहुंच और कमजोर नीतियां इनके विस्तार में बाधा हैं। कई देश हानिकारक प्लास्टिक पर प्रतिबंध, लेबलिंग नियम और उत्पाद मानक लागू कर रहे हैं, लेकिन अलग-अलग नियमों के कारण अनुपालन मुश्किल और महंगा है।

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