environmentalstory

Home » पिंपरी-चिंचवड़ की पवना और इंद्रायणी नदियों में बढ़ता प्रदूषण: प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल

पिंपरी-चिंचवड़ की पवना और इंद्रायणी नदियों में बढ़ता प्रदूषण: प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल

by kishanchaubey
0 comment

पिंपरी-चिंचवड़ शहर से होकर बहने वाली पवना और इंद्रायणी नदियों का पानी तेजी से प्रदूषित होता जा रहा है। इन नदियों में बार-बार झाग (फ्रॉथ) उठता है, जिससे पानी की गुणवत्ता पर गंभीर असर पड़ रहा है। पिछले चार दिनों से थेरगांव स्थित केजुदेवी डैम के पास पानी की सतह पर झाग देखी गई है। इसके बावजूद, रासायनिक और बिना शुद्ध किया हुआ गंदा पानी छोड़ने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कौन?

पर्यावरणविदों ने नगर निगम के पर्यावरण विभाग और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) पर आरोप लगाया है कि वे नदियों को प्रदूषित करने वाले गांवों, हाउसिंग सोसाइटियों और औद्योगिक कंपनियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने में असफल रहे हैं। इसके चलते, लगातार रासायनिक कचरा और बिना ट्रीट किया हुआ अपशिष्ट जल नदियों में छोड़ा जा रहा है।

पानी में झाग और मर रही जल-जीव

इंद्रायणी नदी में पहले भी कई बार झाग उठते देखा गया है, लेकिन 7 फरवरी को पवना नदी में भी थेरगांव के केजुदेवी डैम के पास झाग दिखाई दी। पानी में रसायनों और बिना ट्रीटमेंट वाले गंदे पानी की अधिकता के कारण यहां मरी हुई मछलियां भी पाई गईं। यह गंभीर जल प्रदूषण की ओर इशारा करता है।

3 लाख से ज्यादा लोगों की सेहत को खतरा

करीब 30 लाख लोग पवना नदी के पानी पर निर्भर हैं, लेकिन यह नदी लगातार प्रदूषित होती जा रही है। धार्मिक अनुष्ठानों की राख, धोबीघरों से निकलने वाला अपशिष्ट और सोसाइटियों व फैक्ट्रियों से छोड़ा जाने वाला अनुपचारित (बिना ट्रीटमेंट का) गंदा पानी इसमें मिल रहा है। इस प्रदूषण के कारण जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे जलीय जीवों की मृत्यु हो रही है।

banner

बदबूदार हो चुका है नदी का पानी

7 फरवरी से लगातार पवना नदी में झाग बन रही है। थेरगांव स्थित केजुदेवी डैम के पास झाग की परतें जमी हुई हैं और पानी से गटर जैसी दुर्गंध आ रही है। डैम से लेकर मोरया गोसावी मंदिर तक पूरी नदी सफेद झाग से भरी हुई है। स्थानीय नागरिकों में इस बात को लेकर चर्चा है कि झाग नदी के स्रोत से आ रही है या रास्ते में किसी स्थान से इसमें मिल रही है। हालांकि, प्रशासन और MPCB द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ रही है।

सरकार और MPCB की निष्क्रियता पर उठते सवाल

पवना और इंद्रायणी नदी में लगातार झाग बनने के बावजूद, MPCB ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। नदियां लगातार बिना ट्रीटमेंट वाले गंदे पानी, रसायनों और सीवेज के मिश्रण से मरती जा रही हैं। कई दिनों से झाग उठने के बावजूद, इसकी सही जांच नहीं की गई है। नागरिकों का आरोप है कि प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहा और केवल दिखावटी कार्रवाई कर रहा है। नगर निगम और MPCB की निष्क्रियता के कारण नागरिकों में भारी रोष है।

नदियों को बचाने के लिए क्या करना होगा?

पर्यावरणविदों के अनुसार,

  • नदियों में रसायनों और अनुपचारित अपशिष्ट छोड़ने वाले उद्योगों और हाउसिंग सोसाइटियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
  • नगर निगम को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की संख्या बढ़ानी चाहिए और मौजूदा ट्रीटमेंट प्लांट्स को प्रभावी रूप से काम करने के लिए मजबूर करना चाहिए।
  • जल निकायों की नियमित सफाई और पानी की गुणवत्ता की जांच सुनिश्चित करनी होगी।
  • नागरिकों को जागरूक किया जाए कि वे घरेलू और धार्मिक कचरा नदियों में न डालें।

यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। प्रदूषित पानी न केवल जलजीवों को मार रहा है, बल्कि आम जनता की सेहत के लिए भी गंभीर खतरा बन रहा है। सरकार और प्रशासन को जल्द से जल्द इस पर ठोस कदम उठाने होंगे।

You may also like