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नई दिल्ली: वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि अगले 25 वर्षों में पार्किंसंस रोग के मामले तेजी से बढ़ सकते हैं। एक नए अध्ययन के अनुसार, 2050 तक दुनिया में 2.5 करोड़ से अधिक लोग इस गंभीर तंत्रिका संबंधी बीमारी से पीड़ित होंगे।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) में प्रकाशित शोध के मुताबिक, 2021 की तुलना में पार्किंसंस के मामलों में 112% की वृद्धि हो सकती है। इसका मतलब है कि यह बीमारी दोगुने से भी ज्यादा लोगों को प्रभावित करेगी।
पार्किंसंस रोग क्यों बढ़ रहा है?
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी के बढ़ने के पीछे तीन मुख्य कारण हैं:
- बुजुर्ग आबादी में बढ़ोतरी – उम्र बढ़ने के साथ पार्किंसंस का खतरा बढ़ता है।
- जनसंख्या वृद्धि – ज्यादा लोग, ज्यादा मामले।
- पर्यावरणीय और जैविक कारण – जीवनशैली, प्रदूषण और आनुवंशिक कारकों की भूमिका।
2050 तक प्रति लाख लोगों पर 267 होंगे पीड़ित
- 2021 में प्रति लाख लोगों पर इस बीमारी के 152 मामले थे।
- 2050 तक यह बढ़कर 267 हो सकता है, यानी 76% की वृद्धि।
- सबसे ज्यादा असर पूर्वी और दक्षिण एशिया में दिख सकता है।
दुनिया के किन हिस्सों में सबसे ज्यादा असर?
- पूर्वी एशिया: 1.09 करोड़ मामले (सबसे ज्यादा)
- दक्षिण एशिया: 68 लाख मामले
- पश्चिमी उप-सहारा अफ्रीका: 292% की वृद्धि (सबसे तेज़)
- मध्य और पूर्वी यूरोप: सिर्फ 28% की वृद्धि (सबसे कम)
- ओशिनिया और ऑस्ट्रेलिया: सबसे कम मामले
पार्किंसंस रोग क्या है?
यह एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो मस्तिष्क के उन हिस्सों को प्रभावित करती है जो शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं।
- लक्षण: हाथ-पैर कांपना, चलने-फिरने में दिक्कत, संतुलन बिगड़ना, मांसपेशियों में अकड़न आदि।
- उम्र का असर: आमतौर पर 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में देखा जाता है, लेकिन 30 साल की उम्र में भी हो सकता है।
- तंत्रिका तंत्र की भूमिका: यह शरीर के चलने, बोलने, हंसने, सांस लेने जैसी गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
पुरुषों को ज्यादा खतरा
- 2021 में पुरुषों और महिलाओं के बीच इस बीमारी का अनुपात 1.46 था।
- 2050 तक यह बढ़कर 1.64 हो जाएगा, यानी पुरुषों को ज्यादा खतरा होगा।
क्या समाधान है?
- रिसर्च और इलाज: नई दवाओं और चिकित्सा तकनीकों पर निवेश बढ़ाना होगा।
- जागरूकता: समय पर पहचान और शुरुआती इलाज से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।
- स्वस्थ जीवनशैली: योग, व्यायाम और संतुलित आहार से इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है।