उत्तर भारत में सर्दी के साथ प्रदूषण का कहर और तेज हो गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के 26 दिसंबर के आंकड़ों से खुलासा हुआ कि पंचकुला देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 403 तक पहुंचा। यह ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है, जो स्वास्थ्य के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। कल (25 दिसंबर) यहां AQI 278 था, यानी 125 अंकों का भारी उछाल। PM2.5 कण हावी हैं, जो फेफड़ों को सीधे नुकसान पहुंचाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षित सीमा (5 माइक्रोग्राम/घन मीटर) से यहां प्रदूषण 2,500% अधिक है।
दूसरी ओर, शिलांग की हवा सबसे साफ रही, AQI महज 10। पंचकुला की तुलना में यहां स्थिति 39 गुना बेहतर है। कल बालासोर (ओडिशा) सबसे प्रदूषित था (AQI 338), लेकिन आज 327 पर सुधार के बावजूद ‘बेहद खराब’ श्रेणी में।
दिल्ली में भी हाहाकार: कल 234 से उछलकर AQI 332 (‘बेहद खराब’) हो गया, 98 अंकों का इजाफा। फरीदाबाद में 234 (‘खराब’) दर्ज। टॉप 10 प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के 6 शहर हावी: बद्दी (394, 2nd), ग्रेटर नोएडा (394, 3rd), गाजियाबाद (382, 4th), नोएडा (376, 5th), बहादुरगढ़ (371, 6th), बागपत (339, 7th)। अन्य में दिल्ली (332), मेरठ (330), हापुड़ (328)।
235 शहरों के विश्लेषण में महज 4.3% (10 शहर) में हवा साफ (AQI 0-50): आइजोल, शिलांग, झांसी आदि। 28.5% (67 शहर) संतोषजनक (51-100): बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद। 44.7% (105 शहर) मध्यम (101-200): मुंबई (118), लखनऊ (148)। लेकिन 15.7% (37 शहर) खराब (201-300) और 6.4% (15 शहर) बेहद खराब (301-400): गुरुग्राम (312), पानीपत। कल से साफ हवा वाले शहरों में 9% गिरावट, बेहद खराब में 150% उछाल।
PM2.5 पंचकुला, दिल्ली जैसे शहरों में प्रमुख, जबकि PM10 गाजियाबाद, आगरा में। CPCB के अनुसार, AQI 0-50 साफ, 51-100 संतोषजनक, 101-200 मध्यम, 201-300 खराब, 301-400 बेहद खराब, 401+ गंभीर। विशेषज्ञों का कहना है, ठंडी हवाओं और पराली जलाने से स्थिति बिगड़ी। सरकार ने GRAP-3 लागू किया, लेकिन राहत नहीं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने मास्क, घर में रहने की सलाह दी।
