अंतरराष्ट्रीय ओपन-वाटर तैराक और नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित मीना कशी पहुजा ने हाल ही में अलिबाग के रेवास जेट्टी से मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया तक 20 किलोमीटर की दूरी तैरकर पूरी की। इस साहसिक कदम का उद्देश्य जल प्रदूषण के प्रति लोगों को जागरूक करना था।
मीना कशी, जो तीन बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कर चुकी हैं, ने सुबह 5 बजे इस चुनौतीपूर्ण यात्रा की शुरुआत की। यह सफर केवल तैराकी नहीं था, बल्कि एक संदेश देने का प्रयास था। उन्होंने कहा,
“पानी प्रकृति का एक महत्वपूर्ण तत्व है जो जीवन को बनाए रखता है। हमारा यह कर्तव्य है कि हम इसे प्रदूषित न करें और इसके संरक्षण के लिए कदम उठाएं। भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखना होगा।”
टीम का सहयोग और समर्थन
इस मुश्किल यात्रा को सफल बनाने में मीना कशी की एस्कॉर्ट टीम का भी अहम योगदान रहा। उनकी टीम में अभिनव कांत चतुर्वेदी, किरीश गांधी और फैजल सिद्दीकी शामिल थे, जिन्होंने पूरे सफर के दौरान उनका मार्गदर्शन और सहयोग किया।
जल प्रदूषण के खिलाफ एक संदेश
मीना कशी का कहना है कि जल प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। नदियों, झीलों और समुद्रों का साफ और सुरक्षित रहना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने इस तैराकी के माध्यम से लोगों को यह संदेश देने की कोशिश की कि जल प्रदूषण को रोकने के लिए हमें जागरूक होना पड़ेगा और ठोस कदम उठाने होंगे।
मीना कशी पहुजा की उपलब्धियां
- नारी शक्ति पुरस्कार विजेता
- तीन बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओपन-वाटर तैराकी में ख्याति
मीना कशी पहुजा ने न केवल अपने साहस और प्रतिबद्धता का परिचय दिया, बल्कि एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर समाज का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास भी किया। उनके इस साहसिक प्रयास से न केवल जल प्रदूषण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए जल संरक्षण की प्रेरणा भी मिलेगी।