एक नई अध्ययन में पाया गया है कि दुनिया के उष्णकटिबंधीय वर्षावनों (ट्रॉपिकल रेनफॉरेस्ट) का केवल 25% हिस्सा ही उच्च गुणवत्ता वाला है। यह अध्ययन “प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज” नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
मुख्य बातें:
- उष्णकटिबंधीय वर्षावन 16,000 से अधिक स्थलीय प्रजातियों का घर हैं।
- लेकिन इनका सिर्फ 25% हिस्सा ही स्तनधारियों, पक्षियों, सरीसृपों और उभयचरों के लिए अच्छी स्थिति में पाया गया।
- संकटग्रस्त या तेजी से घट रही प्रजातियों के लिए यह आंकड़ा और भी खराब है। उनके आवास का केवल 8% हिस्सा अच्छी स्थिति में है।
कैसे होती है उच्च गुणवत्ता वाले वर्षावन की पहचान?
उच्च गुणवत्ता वाले वर्षावन में पेड़ों की कई परतें होती हैं:
- नीचे की परत: झाड़ियां और छोटे पेड़।
- मध्य स्तर: मध्यम ऊंचाई के पेड़।
- ऊपरी स्तर: बड़े-बड़े पेड़ों की छतरी और उससे ऊपर निकलने वाले लंबे पेड़।
वहीं, कम गुणवत्ता वाले या क्षतिग्रस्त जंगल कटाई, मध्यम और ऊंचे पेड़ों की अनुपस्थिति या नुकसान का संकेत देते हैं। निचली परत में घने झाड़-झंखाड़ का दबाव देखा जाता है।
क्या कहता है उपग्रह डेटा?
शुरुआती सैटेलाइट डेटा से पता चला कि 90% स्थलीय प्रजातियों के आवास अब भी जंगलों से ढके हुए हैं। लेकिन गहराई से विश्लेषण करने पर यह संख्या घटकर 25% उच्च गुणवत्ता वाले जंगलों तक सीमित हो गई।
उदाहरण के लिए:
- ऑस्ट्रेलिया के गोल्डन बोवरबर्ड (Prionodura newtonia) की स्थिति को देखें। इसके आवास का 84% हिस्सा जंगल से ढका हुआ दिखता है। लेकिन गहराई से जांच करने पर पता चला कि केवल 36% जंगल ही उच्च गुणवत्ता के हैं।
- पश्चिम अफ्रीका में, डायना मंकी के आवास का 80% हिस्सा जंगल है, लेकिन उच्च गुणवत्ता वाले जंगल का हिस्सा केवल 0.7% है।
प्रजातियों पर असर
- संकटग्रस्त पक्षियों के लिए, केवल 9% जंगल उच्च गुणवत्ता वाले पाए गए।
- गिरती हुई उभयचर प्रजातियों के लिए, यह आंकड़ा केवल 6% था।
- जबकि गैर-संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए, यह आंकड़ा 26-36% तक था।
मानव हस्तक्षेप और वनों की गुणवत्ता
शोधकर्ताओं ने कहा कि मानव गतिविधियों जैसे पेड़ों की कटाई, सड़कों का निर्माण, और खनन वनों की संरचना और जैव विविधता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं।
“सिर्फ जंगलों को बनाए रखना काफी नहीं है। उनकी गुणवत्ता को भी ध्यान में रखना होगा।”
अध्ययन में जंगलों के संरचनात्मक गुणवत्ता सूचकांक (Forest Structural Integrity Index) का उपयोग किया गया, जिसमें NASA के सैटेलाइट डेटा की मदद से पेड़ों की ऊंचाई, छतरी का आवरण और 2000 के बाद से मानवीय हस्तक्षेप से मुक्त जंगलों का विश्लेषण किया गया।
क्या करना होगा?
शोधकर्ताओं ने जोर दिया कि:
- वनों की कटाई को तुरंत रोकना होगा।
- क्षतिग्रस्त जंगलों को पुनर्जीवित करना होगा।
- जंगल से उत्पादों की कटाई और मानवीय हस्तक्षेप पर प्रतिबंध लगाना होगा।
- 2022 के कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी के तहत 2030 तक उच्च जैव विविधता वाले क्षेत्रों को संरक्षित करने के लक्ष्यों को हासिल करना होगा।
चेतावनी और समाधान
अध्ययन ने आगाह किया कि अगर जंगलों की कटाई और क्षरण जारी रहा, तो संकटग्रस्त प्रजातियां जल्द ही विलुप्त हो सकती हैं। “वक्त तेजी से खत्म हो रहा है। तुरंत कार्रवाई जरूरी है।”
यह अध्ययन एक चेतावनी है कि सिर्फ जंगल बचाना काफी नहीं है। हमें उनके गुणवत्ता, संरचना और जैव विविधता को भी प्राथमिकता देनी होगी।