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गुदलुर वन विभाग ने जंगल से बाहर आने वाले जंगली हाथियों को ट्रैक करने और उन्हें मानव बस्तियों में घुसने से रोकने के लिए थर्मल ड्रोन का उपयोग करने की योजना बनाई है। यह नई तकनीक विशेष रूप से रात के समय हाथियों की निगरानी और उन्हें सुरक्षित रूप से जंगल में वापस भेजने में मदद करेगी।
थर्मल ड्रोन की विशेषताएं और उपयोग
- गुदलुर वन प्रभाग में कुल 14,932.496 हेक्टेयर भूमि फैली हुई है, जिसमें छह वन रेंज शामिल हैं।
- अक्सर हाथी रात में जंगल से निकलकर चाय के बागानों या मानव बस्तियों में प्रवेश कर जाते हैं। थर्मल ड्रोन से इन्हें दूर से ही ट्रैक किया जा सकेगा।
- ड्रोन ऑपरेटर जंगल के किनारे तैनात रहेंगे और हाथियों की गतिविधि का पता चलते ही लोगों को सतर्क किया जाएगा।
- वन विभाग के वाहन से ब्लूटूथ स्पीकर की मदद से लाइव अनाउंसमेंट की जाएगी ताकि लोगों को सावधान किया जा सके।
- इसके अलावा, वाहन में लगे स्पीकर से तेज आवाजें निकालकर हाथियों को डराकर वापस जंगल में भेजा जाएगा।
तकनीकी विकास और निवेश
- इस प्रोजेक्ट के लिए 10.5 लाख रुपये खर्च किए गए हैं।
- तीन कंपनियों ने ड्रोन की तकनीक का प्रदर्शन किया है, और वन विभाग जल्द ही एक कंपनी को अंतिम रूप देगा।
- AI-इनेबल्ड कैमरे भी खरीदे जाएंगे, जो हाथियों की गतिविधियों पर 24/7 निगरानी रखने में मदद करेंगे।
पहले से सफल प्रयोग
- यह प्रणाली पहले ही होसुर वन प्रभाग में लागू की जा चुकी है और इसके अच्छे नतीजे सामने आए हैं।
- अब इसे गुदलुर की सभी छह वन रेंजों में लागू किया जाएगा।
मनुष्यों और हाथियों के बीच संघर्ष कम करने की पहल
वन विभाग का मानना है कि ये नई तकनीकें जैसे थर्मल ड्रोन और एआई कैमरे, जंगली हाथियों और मानवों के बीच टकराव (Human-Wildlife Conflict) को कम करने में बेहद कारगर साबित होंगी।
- हाथियों के हमले से होने वाले नुकसान और जान-माल की हानि को रोका जा सकेगा।
- लोग समय पर सतर्क होकर अपनी सुरक्षा कर सकेंगे।