अरुणाचल: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अरुणाचल प्रदेश सरकार और ईटानगर नगर निगम से सेनकी, पचिन और दिकरोंग नदियों में बढ़ते सीवेज प्रदूषण को रोकने के लिए उठाए गए कदमों और उनकी प्रभावशीलता का ब्योरा मांगा है।
8 अप्रैल, 2025 को जारी अपने आदेश में, एनजीटी ने फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) की स्थापना के संबंध में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
यह मामला तब सामने आया जब एक आवेदन में दावा किया गया कि एनजीटी के 25 अगस्त, 2022 और 5 जनवरी, 2023 के आदेशों का पालन नहीं हुआ। जनवरी 2023 के आदेश में, ट्रिब्यूनल ने यह सुनिश्चित करने को कहा था कि इन नदियों में किसी भी तरह का दूषित सीवेज न जाए।
इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को हर तीन महीने में नदियों के पानी की जांच करने और राज्य सरकार को 15 जनवरी, 2024 तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, आरोप है कि न तो जरूरी ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए गए और न ही नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए।
बिहार: बूढ़ी गंडक नदी में प्लास्टिक कचरे की जांच के लिए एनजीटी का आदेश
बिहार के मुजफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक नदी में प्लास्टिक बैग फेंके जाने के मामले में एनजीटी ने 7 अप्रैल, 2025 को एक दो सदस्यीय समिति को जांच के निर्देश दिए।
शिकायत के अनुसार, आथर घाट पर पुल निर्माण के दौरान नदी में लाखों प्लास्टिक बैग और रेत से भरे बोरे डाले गए, जिन्हें निर्माण पूरा होने के बाद भी नहीं हटाया गया। इससे नदी का प्रवाह बाधित हो रहा है और पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है।
यह शिकायत मुजफ्फरपुर के निवासी देवव्रत कुमार साहनी ने 27 दिसंबर, 2024 को एनजीटी को पत्र याचिका के जरिए उठाई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा बनवाए गए इस पुल का ठेका मेसर्स गणेश राम डोकानिया को दिया गया था, लेकिन निर्माण स्थल की सफाई नहीं की गई।
एनजीटी ने बिहार सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, मुजफ्फरपुर के जिला मजिस्ट्रेट, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम और संबंधित कंपनी को नोटिस जारी कर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। समिति को नदी का दौरा कर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।
झारखंड: पलामू में अवैध पत्थर खनन पर एनजीटी की सख्ती
झारखंड के पलामू जिले में अवैध पत्थर खनन के मामले में एनजीटी ने 7 अप्रैल, 2025 को सख्त रुख अपनाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा। यह मामला 24 मार्च, 2025 को टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के बाद सामने आया, जिसमें कहा गया कि पलामू में पत्थर माफिया इतने बेखौफ हो गए हैं कि उन्होंने वन विभाग की टीम पर हमला कर दिया। यह घटना तब हुई जब वन विभाग ने अवैध पत्थर खनन से लदे दो ट्रैक्टरों को पकड़ने की कोशिश की।
रिपोर्ट के अनुसार, एक महीने से भी कम समय में वन विभाग की टीम पर यह तीसरा हमला था, जो क्षेत्र में अवैध खनन और माफिया की दबंगई को दर्शाता है।
एनजीटी ने झारखंड के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, पलामू के जिला मजिस्ट्रेट, जिला खनन पदाधिकारी, मेदिनीराय के प्रभागीय वन अधिकारी और झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।