नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने झारखंड के जमशेदपुर और उसके आसपास सुवर्णरेखा नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर गंभीरता से संज्ञान लिया है। एनजीटी को यह जानकारी दी गई कि अदालत के निर्देशों के बावजूद अधिकारियों ने सुवर्णरेखा नदी के प्रदूषण की स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है। अदालत ने 11 अक्टूबर 2023 को इस मामले में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक अधिकारियों ने इसका पालन नहीं किया है।
एनजीटी ने पूर्वी सिंहभूम के जिला मजिस्ट्रेट, कपाली नगर परिषद, जुगसलाई नगर परिषद, और आदित्यपुर नगर निगम को नोटिस भेजने का आदेश दिया है, जिनसे चार सप्ताह के भीतर इस मामले में जवाब मांगा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर 2024 को निर्धारित की गई है।
एवेन्यू मेल की रिपोर्ट पर अदालत ने लिया स्वतः संज्ञान
गौरतलब है कि अदालत ने यह मामला स्वतः संज्ञान में लिया था। जमशेदपुर के स्थानीय अखबार, “एवेन्यू मेल” में प्रकाशित एक रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने यह कदम उठाया था। इस रिपोर्ट में झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण का हवाला दिया गया था, जिसमें यह बताया गया कि सुवर्णरेखा नदी के पानी में प्रदूषण के स्तर में चिंताजनक वृद्धि हुई है। नदी जल में पीएच के उच्च स्तर, डीओ (घुलित ऑक्सीजन) की कम मात्रा और सीसा की उच्च मात्रा पाई गई है।
सुवर्णरेखा नदी रांची के पास से निकलकर ओडिशा और पश्चिम बंगाल होते हुए लगभग 450 किलोमीटर का सफर तय करती है और अंततः बंगाल की खाड़ी में मिलती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मानगो और मऊभंडार जैसे क्षेत्रों में प्रदूषण की स्थिति और भी खराब है।
एनजीटी ने दिए थे सीवेज उपचार संयंत्र स्थापित करने के आदेश
एनजीटी ने 11 अक्टूबर 2023 को जारी अपने आदेश में झारखंड के विभिन्न नगर परिषदों और नगर निगमों को निर्देश दिया था कि वे सुवर्णरेखा नदी में गिरने वाले सीवेज को रोकने के लिए सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) स्थापित करें और उन्हें 15 अप्रैल 2024 तक चालू करें। जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 18 सीवेज नाले सीधे सुवर्णरेखा नदी में गिरते हैं और इनमें हर दिन 12.2 करोड़ लीटर (एमएलडी) सीवेज बहता है। इसका अर्थ है कि पूरा सीवेज बिना किसी उपचार के नदी में छोड़ा जा रहा है, जिससे नदी के जल की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है।
पर्यावरणीय संकट की ओर बढ़ रही सुवर्णरेखा नदी
सुवर्णरेखा नदी के प्रदूषण को लेकर एनजीटी द्वारा अधिकारियों को नोटिस जारी किया जाना यह दर्शाता है कि नदी की हालत गंभीर हो चुकी है। बिना उपचार के सीवेज का नदी में गिरना न केवल पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि जल स्रोत पर निर्भर स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है।
एनजीटी के इस कदम से उम्मीद की जा रही है कि संबंधित अधिकारियों द्वारा जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाएंगे और सुवर्णरेखा नदी को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए आवश्यक उपाय किए जाएंगे।