NGT Strict: उत्तराखंड में पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने सख्त रुख अपनाया है। हरदीप शर्मा की शिकायत और संयुक्त समिति की रिपोर्ट के आधार पर NGT ने 24 फरवरी 2025 को उत्तराखंड सरकार को मुख्य सचिव के माध्यम से जवाब देने का आदेश दिया है।
इन अधिकारियों से भी मांगा गया जवाब
एनजीटी ने न केवल राज्य सरकार बल्कि कई अन्य संबंधित विभागों और अधिकारियों को भी इस मामले में जवाब देने के लिए कहा है। जिन अधिकारियों और संस्थाओं से जवाब मांगा गया है, वे इस प्रकार हैं:
- उधम सिंह नगर के जिला मजिस्ट्रेट
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEF & CC) देहरादून कार्यालय
- तराई पश्चिम वन प्रभाग के डीएफओ
- उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKSPCB)
- काशीपुर तहसील के चांदपुर क्षेत्र के कुछ ग्रामीण (प्रतिवादी)
अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी
एनजीटी इस मामले में अगली सुनवाई 7 अप्रैल 2025 को करेगा। साथ ही, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और उत्तराखंड के पीसीसीएफ (HOFF) को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया गया है। उन्हें सभी संबंधित दस्तावेज भी अदालत में प्रस्तुत करने होंगे।
600 से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं
शिकायतकर्ता हरदीप शर्मा ने 9 जनवरी 2024 को पत्र याचिका के जरिए इस अवैध कटाई का मामला उठाया था। उन्होंने बताया कि ऊधम सिंह नगर के चांदपुर और प्रतापपुर क्षेत्रों में एक कॉलोनी विकसित करने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की जा रही है।
शिकायत के अनुसार, जहां यह कॉलोनी बनाई जा रही है, वहां 1100 हरे-भरे और परिपक्व पेड़ खड़े थे। प्रशासन ने केवल 150 पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी, लेकिन अब तक 600 से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं।
संयुक्त समिति की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
एनजीटी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 7 नवंबर 2024 को एक संयुक्त समिति के गठन का आदेश दिया था। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 27 जनवरी 2025 को अपनी रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें कई अहम खुलासे किए गए। रिपोर्ट के अनुसार:
- 264 पेड़ निजी भूमि पर बिना अनुमति के काटे गए।
- वन विभाग ने वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के तहत 88 पेड़ों की कटाई के लिए ₹4,44,000 का जुर्माना लगाया, जो पहले ही वसूला जा चुका है।
- तराई पश्चिम रामनगर के डीएफओ ने 176 पेड़ों की अवैध कटाई के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है।
- उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पर्यावरण क्षति के कारण नियम तोड़ने वालों पर ₹67,26,375 का भारी-भरकम जुर्माना लगाया है।
पेड़ों की अवैध कटाई पर क्या होगी कार्रवाई?
यह मामला न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए बल्कि कानून व्यवस्था के लिए भी अहम बन चुका है। एनजीटी के इस कदम से अवैध रूप से पेड़ काटने वालों पर सख्त कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है। अब 7 अप्रैल 2025 की सुनवाई में यह तय होगा कि दोषियों के खिलाफ क्या कठोर कदम उठाए जाएंगे।