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सरस्वती नदी अतिक्रमण और प्रदूषण मामला: एनजीटी का सख्त रुख

by kishanchaubey
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Sarasvati River: राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की पूर्वी बेंच, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति बी. अमित स्थालेकर कर रहे हैं, ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह सरस्वती नदी के अतिक्रमण को हटाने के संबंध में हलफनामा दायर करें। यह हलफनामा 15 मई 2025 तक प्रस्तुत करना अनिवार्य है।

यह मामला सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष दत्ता की याचिका पर आधारित है। दत्ता ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में अधिकारी सरस्वती नदी में बढ़ते प्रदूषण और अतिक्रमण को रोकने में असफल रहे हैं। सरस्वती नदी पश्चिम बंगाल के हुगली और हावड़ा जिलों से होकर बहती है और आगे जाकर गंगा में मिलती है।

सरस्वती नदी के मुख्य मुद्दे

  1. सीवेज का अनुचित निपटान:
    • लगभग 50 किलोमीटर क्षेत्र में बिना शुद्ध किए सीवेज छोड़ा जा रहा है, जिससे नदी का जल प्रदूषित हो गया है।
  2. अतिक्रमण से बाधित प्रवाह:
    • नदी के किनारों पर अतिक्रमण के कारण इसका प्राकृतिक प्रवाह अवरुद्ध हो रहा है।

पर्यावरण रिपोर्ट और प्रयोगशालाओं की स्थिति

केरल एसपीसीबी की रिपोर्ट

केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) ने एनजीटी के सामने 1 जनवरी 2025 को एक रिपोर्ट पेश की।

  • रिपोर्ट में बताया गया कि 19 पद खाली हैं:
    • 4 तकनीकी
    • 11 वैज्ञानिक
    • 4 प्रशासनिक
  • हालांकि, सभी प्रयोगशालाएं पर्याप्त उपकरणों से सुसज्जित हैं और ठीक से काम कर रही हैं।
  • एर्नाकुलम में स्थित केंद्रीय प्रयोगशाला को एनएबीएल और ईपीए से मान्यता प्राप्त है।
  • कोझिकोड और अन्य जिलों में भी प्रयोगशालाएं स्थापित हैं।

पुडुचेरी प्रदूषण नियंत्रण समिति (पीपीसीसी)

पुडुचेरी प्रदूषण नियंत्रण समिति ने एनजीटी को जानकारी दी कि:

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  • तीन पद खाली हैं।
  • 6 तकनीकी और 3 वैज्ञानिक सलाहकारों की आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती की जा रही है।
  • प्रशासनिक कार्यों के लिए 4 सेवानिवृत्त अधिकारियों को सलाहकार के रूप में नियुक्त करने की योजना है।
  • नई प्रयोगशालाओं और कार्यालय भवन के निर्माण के लिए सरकार ने मंजूरी दी है।
  • पुडुचेरी और कराईकल में दो प्रयोगशालाएं वर्तमान में संचालन में हैं।

प्रमुख निर्देश और भविष्य की योजना

  1. सरस्वती नदी का संरक्षण:
    • एनजीटी ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया है कि वह सरस्वती नदी से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को प्राथमिकता दे।
  2. रिक्तियों को भरने पर जोर:
    • सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में रिक्त पद शीघ्र भरे जाएं।
  3. प्रयोगशालाओं का उन्नयन:
    • सभी प्रयोगशालाओं को आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित करने के लिए कदम उठाए जाएं।

एससीओ देशों के लिए सीख

एससीओ (शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन) के सदस्य देशों के लिए यह मामला पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणा बन सकता है।

  1. नदियों का संरक्षण और पुनर्वास:
    • एससीओ देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नदियों में प्रदूषण रोकने के लिए मजबूत नीतियां लागू हों।
  2. अतिक्रमण हटाना:
    • नदियों के किनारों पर अतिक्रमण रोकने के लिए सख्त नियम बनाए जाएं।
  3. प्रयोगशालाओं और बुनियादी ढांचे का विकास:
    • पर्यावरण निगरानी के लिए पर्याप्त संसाधन और तकनीकी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।

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