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NGT ने मध्यप्रदेश की नदियों में अवैध खनन की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति गठित की

by kishanchaubey
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मध्यप्रदेश की उमरार, महानदी, हलाली और बेलकुंड नदियों में धनलक्ष्मी मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड (डीएमपीएल) द्वारा कथित अवैध खनन की जांच के लिए चार सदस्यीय संयुक्त समिति गठित करने का आदेश दिया है।

समिति को छह सप्ताह के भीतर तथ्यात्मक और कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, मध्यप्रदेश राज्य पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण और मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

एनजीटी ने समिति को मौके पर निरीक्षण कर विस्तृत जांच करने और अवैध खनन के पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन करने का आदेश दिया है।आरोपों का विवरण:आरोप है कि धनलक्ष्मी मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड ने नरसिंहपुर, रायसेन, होशंगाबाद और कटनी जिलों में पर्यावरणीय मंजूरी के बिना और निर्धारित क्षेत्र से बाहर जाकर खनन किया।

कंपनी ने भारी मशीनों का उपयोग कर नदियों की धाराओं में सीधे खनन किया, जिससे नदी किनारे टूट गए, जल प्रवाह बाधित हुआ और जलीय जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इसके अलावा, खनन लीज की शर्तों का उल्लंघन करते हुए सीमित क्षेत्र और मात्रा से अधिक खनन किया गया।

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कंपनी पर मानसून के दौरान खनन, बिना अनुमति सड़कों और बांधों का निर्माण, नदियों की देखभाल, पेड़ लगाने और गंदगी रोकने जैसे पर्यावरणीय उपायों की अनदेखी का भी आरोप है। स्थानीय ग्रामीणों और जागरूक नागरिकों ने कई बार शिकायतें कीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव:

याचिकाकर्ता खुशी बग्गा ने बताया कि अवैध खनन के गंभीर परिणाम सामने आए हैं। भूजल पुनर्भरण की प्राकृतिक प्रणाली ध्वस्त हो गई है, पारंपरिक जल संचयन संरचनाएं नष्ट हुई हैं, और नदी की तलछट व्यवस्था बिगड़ गई है। इससे खेतों में मिट्टी का कटाव बढ़ा है, फसलें बर्बाद हो रही हैं, और नदियों की जल वहन क्षमता कम होने से बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।

आगे की कार्रवाई:

एनजीटी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए समिति को निष्पक्ष जांच करने और पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन के तथ्यों को सामने लाने का निर्देश दिया है। समिति की रिपोर्ट के आधार पर भविष्य में कठोर कार्रवाई और पर्यावरणीय सुधार के उपाय किए जा सकते हैं। यह कदम मध्यप्रदेश की नदियों और पर्यावरण को बचाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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