नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर दो अहम मामलों में सख्त रुख अपनाया है। पहले मामले में एनजीटी ने यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में अवैध निर्माण पर रोक लगाने का आदेश दिया है, वहीं दूसरे मामले में जम्मू-कश्मीर के सोनमर्ग में हिमालयी भूरे भालुओं के आवास पर कचरे के संकट को लेकर सुनवाई की है।
यमुना बाढ़ क्षेत्र में अवैध निर्माण पर एनजीटी का सख्त आदेश
21 अप्रैल, 2025 को दिए गए एक महत्वपूर्ण आदेश में एनजीटी ने यमुना बाढ़ क्षेत्र में किसी भी प्रकार के अवैध निर्माण पर रोक लगा दी है। ट्रिब्यूनल ने गंगा नदी (कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन) प्राधिकरण आदेश, 2016 के नियमों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं।
यह मामला गौतम बुद्ध नगर, नोएडा स्थित जेपी विशटाउन के निवासियों द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जो 14 जुलाई, 2024 को दर्ज की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया कि जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करते हुए टाउनशिप में बड़े पैमाने पर बदलाव कर रहा है। निवासियों का कहना है कि यह टाउनशिप यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में स्थित है, जो नदी से महज दो किलोमीटर दूर है और ओखला पक्षी विहार जैसे राष्ट्रीय पक्षी अभयारण्य की सीमा में आता है।
याचिका में यह भी दावा किया गया कि परियोजना प्रस्तावक टाउनशिप के ग्रीन एरिया पर व्यावसायिक निर्माण कर रहा है, जो पर्यावरण नियमों का खुला उल्लंघन है। एनजीटी ने पाया कि नोएडा अथॉरिटी और जेपी इंफ्राटेक ने बार-बार अवसर दिए जाने के बावजूद कोई जवाब दाखिल नहीं किया।
अदालत ने जेपी इंफ्राटेक को अगली सुनवाई तक पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करते हुए किसी भी निर्माण कार्य को जारी न रखने का निर्देश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 21 अगस्त, 2025 को होगी। एनजीटी ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा, “यमुना बाढ़ क्षेत्र में या पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करते हुए निर्माण जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
सोनमर्ग में भालुओं के आवास पर कचरे का संकट
दूसरे मामले में, एनजीटी ने जम्मू-कश्मीर के सोनमर्ग और बालटाल क्षेत्रों में ठोस कचरे के संकट पर सुनवाई की। जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति ने 22 अप्रैल, 2025 को ट्रिब्यूनल को बताया कि क्षेत्र में बर्फ पिघलने के कारण अब जमा कचरे का मूल्यांकन संभव हो सकेगा। समिति ने स्थिति का आकलन करने, सुधारात्मक कदम उठाने और कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई 26 अगस्त, 2025 को होगी।
यह मामला 27 जुलाई, 2024 को इंडिया डॉट कॉम में प्रकाशित एक खबर के आधार पर एनजीटी ने स्वतः संज्ञान में लिया था। खबर में बताया गया था कि सोनमर्ग में कचरे के अनियोजित निपटान और उपचार के कारण हिमालयी भूरे भालुओं का प्राकृतिक आवास सिकुड़ रहा है, जिससे भालुओं और इंसानों के बीच टकराव की घटनाएं बढ़ रही हैं।
वाइल्डलाइफ एसओएस और जम्मू-कश्मीर वन्यजीव संरक्षण विभाग ने मिलकर इस क्षेत्र में भालुओं के व्यवहार और टकराव के कारणों को समझने के लिए एक रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू किया है। वाइल्डलाइफ एसओएस की 2021 की एक स्टडी के अनुसार, भालुओं के आहार का 75 फीसदी हिस्सा इंसानों द्वारा फेंका गया कचरा है, जिसमें प्लास्टिक, चॉकलेट और जैविक खाद्य अपशिष्ट शामिल हैं।
पर्यावरण संरक्षण के लिए एनजीटी का कड़ा रुख
दोनों मामलों में एनजीटी ने पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। यमुना बाढ़ क्षेत्र में अवैध निर्माण और सोनमर्ग में कचरे के संकट जैसे मुद्दों पर ट्रिब्यूनल का सख्त रवैया पर्यावरणीय नियमों के पालन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन आदेशों से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि मानव-वन्यजीव टकराव जैसी समस्याओं पर भी ध्यान केंद्रित होगा।