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गुजरात में खेती का नया दौर: टिकाऊ कृषि और उच्च मूल्य वाली फसलों से विकास की ओर अग्रसर

by reporter
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भारत की श्वेत क्रांति का केंद्र रह चुका गुजरात अब टिकाऊ कृषि के क्षेत्र में नए युग की अगुवाई कर रहा है। उच्च मूल्य वाली फसलें, आधुनिक सिंचाई प्रणाली और किसानों को सशक्त बनाने वाले कदम राज्य को एक प्रगतिशील और बाजार-केंद्रित कृषि अर्थव्यवस्था में बदल रहे हैं। गुजरात, जिसे भारत का “विकास इंजन” कहा जाता है, उसने कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों में सालाना 9.7% की प्रभावशाली दर से वृद्धि की है, जो कि राष्ट्रीय औसत 5.7% से कहीं अधिक है।

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गुजरात में बीते दो दशकों से लागू की गई किसान हितैषी नीतियों के परिणामस्वरूप राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को विविध और बाजार-आधारित बनाने में सफलता मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Cards) और ज्योतिग्राम योजना जैसी पहलों ने टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया है और सिंचाई सुविधाओं का विस्तार किया है।

पिछले साल गुजरात दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, “उत्तर गुजरात के हर जिले में अब ड्रिप सिंचाई, सूक्ष्म सिंचाई और नई तकनीकों का उपयोग हो रहा है, जिससे यहां के किसानों के लिए विभिन्न फसलों की संभावनाओं में सुधार हुआ है। आज, बनासकांठा का लगभग 70% हिस्सा सूक्ष्म सिंचाई को अपना चुका है। सिंचाई और नई तकनीकों का फायदा अब गुजरात के सूखा-प्रवण क्षेत्रों तक भी पहुंच रहा है।”

गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने कृषि महोत्सव की शुरुआत की थी, जो किसानों को आधुनिक तकनीक और विशेषज्ञ सलाह से जोड़ने वाला एक वार्षिक आयोजन है। यह आयोजन कृषि उत्पादकता को बढ़ाने और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने में सहायक रहा है। 2001 से गुजरात के किसानों ने बागवानी की ओर रुख किया है, जिससे फसल क्षेत्र में 181% और उत्पादन में 326% की वृद्धि हुई है।

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2022 तक, राज्य का फल उत्पादन 82.91 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जिसमें 4.48 लाख हेक्टेयर भूमि पर आम, केला, नींबू वर्गीय फल, अनार और चीकू जैसी प्रमुख फसलें उगाई जा रही हैं। इसके अलावा, गुजरात जीरा, सौंफ, धनिया और मिर्च जैसी मसालों का भी अग्रणी उत्पादक है, जहां 6.57 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 12.01 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन हो रहा है।

गुजरात उन पहले राज्यों में से एक है जिसने मॉडल एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समिति) अधिनियम को लागू किया, जिससे किसानों को विनियमित बाजारों के बाहर अपनी उपज बेचने की स्वतंत्रता मिली है। इन सुधारों और नीतियों के साथ, गुजरात आज भारत के टिकाऊ कृषि विकास के अग्रणी राज्य के रूप में उभर रहा है।

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