तीन साल पहले विवादास्पद कृषि कानून वापस लेने के बाद, केंद्र सरकार एक बार फिर किसानों के लिए एक समान राष्ट्रीय ढांचा तैयार करने की कोशिश कर रही है, जिसमें कृषि उत्पादों की बाधा-मुक्त व्यापार प्रणाली शामिल हो।
नई सिफारिशें और प्रस्तावित सुधार
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत गठित 12 सदस्यीय समिति ने कृषि उत्पादों के व्यापार में सुधार के लिए कई सुझाव दिए हैं। इनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
- फार्म गेट खरीदारी:
- किसानों से सीधे खेत के दरवाजे पर कृषि उत्पादों की खरीद की अनुमति।
- बड़े खरीदार, संगठित खुदरा व्यापारी, और अन्य बिना राज्य-निर्धारित मंडियों में जाने और मंडी शुल्क चुकाने के व्यापार कर सकेंगे।
- निजी बाजारों का विकास:
- निजी बाजारों को कृषि उत्पाद बाजार समितियों (APMCs) के साथ सह-अस्तित्व की अनुमति।
- निजी कोल्ड स्टोरेज, सिलो और वेयरहाउस को “डिम्ड मार्केट यार्ड” घोषित किया जाएगा।
वर्तमान स्थिति और बदलाव की आवश्यकता
वर्तमान में, फार्म गेट खरीदारी महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों में ही होती है, और वह भी सीमित वस्तुओं और समय के लिए। इसके अलावा, किसानों को मंडी कर चुकाना पड़ता है।
समिति का उद्देश्य:
- किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाना।
- राज्यों में कृषि विपणन की नीतियों में समानता लाना।
- ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, जैसे ई-नाम (e-NAM), को और मजबूत बनाना।
कृषि और व्यापार पर प्रभाव
- किसानों को लाभ:
- सप्लाई चेन कम होने से किसानों का मुनाफा बढ़ेगा।
- उत्पादों के मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता आएगी।
- मंडी प्रणाली का सुधार:
- मंडियों को केवल शुल्क संग्रह तक सीमित नहीं रहना होगा।
- उन्हें बेहतर सेवाएं और सुविधाएं प्रदान करनी होंगी, जैसे कृषि मूल्य श्रृंखला सेवाएं।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
- पर्यावरण पर प्रभाव:
- भंडारण में सुधार: कोल्ड स्टोरेज और सिलो का उपयोग बढ़ने से फसल बर्बादी कम होगी।
- स्थानीय व्यापार: स्थानीय स्तर पर खरीदारी और बिक्री से लॉजिस्टिक्स पर दबाव कम होगा, जिससे प्रदूषण कम हो सकता है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य मिलेगा, जिससे उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार होगा।
- बेहतर भंडारण से खाद्य सुरक्षा बढ़ेगी और गुणवत्तापूर्ण भोजन लोगों तक पहुंचेगा।
आगे की राह
- राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने स्तर पर इन नीतियों को लागू करना होगा।
- निजी बाजारों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक व्यापार मॉडल तैयार करना होगा।
- ई-नाम जैसे प्लेटफार्मों का विस्तार और निजी ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की स्थापना।
कृषि सुधारों का यह नया प्रयास किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करने और कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने का एक बड़ा कदम हो सकता है। हालांकि, इसे सफल बनाने के लिए राज्यों और केंद्र सरकार के बीच समन्वय और किसानों का समर्थन जरूरी होगा।