World Liver Day: भारत में लिवर रोग तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसके चलते डॉक्टर और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ एक व्यापक राष्ट्रीय लिवर स्वास्थ्य नीति की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि लोगों को यह समझाने के लिए स्पष्ट आहार दिशानिर्देश बनाए जाएं कि लिवर के लिए क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। इस साल विश्व लिवर दिवस का थीम “खाना ही दवा है” भी इसी दिशा में प्रेरित करता है।
क्यों जरूरी है लिवर स्वास्थ्य नीति?
डॉक्टरों का मानना है कि भारत को अमेरिका और कनाडा जैसे देशों की तरह लिवर और पेट के स्वास्थ्य के लिए खास नीतियां अपनानी चाहिए, जहां आंत (गट) स्वास्थ्य को सार्वजनिक स्वास्थ्य का अहम हिस्सा माना जाता है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार जल्द ही ऐसी नीति ला सकती है।
वर्तमान में भारत में ‘प्लेट मेथड’ नामक राष्ट्रीय पोषण मॉडल का पालन होता है। इसके अनुसार, आपकी थाली का आधा हिस्सा फल और सब्जियों से भरा होना चाहिए, जबकि बाकी आधा हिस्सा अनाज या बाजरा, दालें, और दूध या दही जैसे डेयरी उत्पादों के बीच बांटा जाना चाहिए।
खाना ही दवा: विशेषज्ञों की राय
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक अवुला लक्ष्मैया ने प्राचीन यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स के कथन, “खाना ही तुम्हारी दवा हो और दवा ही तुम्हारा खाना”, को याद किया। उन्होंने कहा कि लिवर रोगों के बढ़ते मामलों के बीच यह सिद्धांत आज पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। लक्ष्मैया ने बताया, “पेट और लिवर का स्वास्थ्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम क्या खाते हैं।”
KIMS, गाचीबाउली के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और हेपेटोलॉजिस्ट डॉ. स्रुजन कुमार डी. ने प्रोसेस्ड और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों (जैसे पैकेटबंद स्नैक्स, फास्ट फूड) की बढ़ती खपत पर चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “ये खाद्य आदतें लिवर और पेट से जुड़ी बीमारियों को बढ़ा रही हैं।”
डॉ. स्रुजन ने इंटरनेट पर फैली गलत जानकारियों के खिलाफ भी आगाह किया। उन्होंने कहा, “लिवर स्वास्थ्य के नाम पर लोग बिना वैज्ञानिक आधार के हानिकारक आहार अपनाते हैं, जिससे स्वास्थ्य को और नुकसान होता है।” उदाहरण के लिए, कुछ लोग बिना सलाह के अत्यधिक डिटॉक्स डाइट या जूस फॉलो करते हैं, जो लिवर पर बुरा असर डाल सकता है।
जागरूकता की जरूरत
हैदराबाद के ककरला सब-एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया (ASCI) के निदेशक सुबोध कंदमुथन ने लिवर स्वास्थ्य जागरूकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “लिवर स्वास्थ्य के बारे में शिक्षा को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाना चाहिए। यह एक बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान का हिस्सा होना चाहिए।” उनका सुझाव है कि स्कूलों, कार्यस्थलों, और ग्रामीण क्षेत्रों में लिवर स्वास्थ्य पर कार्यशालाएं और शिविर आयोजित किए जाएं।
लिवर रोग क्यों बढ़ रहे हैं?
भारत में लिवर रोगों के मामले बढ़ने के कई कारण हैं:
- अस्वास्थ्यकर खानपान: ज्यादा तेल, चीनी, और प्रोसेस्ड फूड खाना।
- शराब का सेवन: अत्यधिक शराब पीने से लिवर खराब होता है।
- वायरल हेपेटाइटिस: हेपेटाइटिस बी और सी जैसे वायरस लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं।
- मोटापा और डायबिटीज: ये फैटी लिवर की बीमारी को बढ़ाते हैं।
- दवाओं का गलत इस्तेमाल: बिना डॉक्टरी सलाह के दवाएं लेना लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है।
लिवर के लिए क्या खाएं?
डॉक्टरों के अनुसार, लिवर को स्वस्थ रखने के लिए निम्नलिखित आहार अपनाएं:
- ताजे फल और सब्जियां: पालक, ब्रोकली, गाजर, सेब, और बेरीज लिवर के लिए फायदेमंद हैं।
- साबुत अनाज: ओट्स, क्विनोआ, और ब्राउन राइस पचाने में आसान होते हैं।
- प्रोटीन: दालें, अंडे, और मछली जैसे हल्के प्रोटीन लें।
- हेल्दी फैट: बादाम, अखरोट, और ऑलिव ऑयल का सीमित उपयोग।
- पानी: दिनभर पर्याप्त पानी पीएं, ताकि लिवर से विषैले पदार्थ निकल सकें।
क्या नहीं खाना चाहिए?
- प्रोसेस्ड फूड: चिप्स, बर्गर, और सोडा से बचें।
- ज्यादा चीनी: मिठाइयां और मीठे पेय पदार्थ कम करें।
- तला-भुना खाना: ज्यादा तेल और मसाले लिवर पर बोझ डालते हैं।
- शराब: लिवर की सबसे बड़ी दुश्मन है।
- नमक: ज्यादा नमक से लिवर पर दबाव पड़ता है।
लिवर रोगों के लक्षण
- पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला पड़ना)
- पेट में दर्द या सूजन
- थकान और कमजोरी
- भूख न लगना