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राष्ट्रीय डेंगू दिवस 2025: जागरूकता और रोकथाम के साथ डेंगू से लड़ें

by kishanchaubey
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हर साल 16 मई को भारत में राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य डेंगू बुखार के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसकी रोकथाम के उपायों को प्रोत्साहित करना है। मॉनसून के मौसम में जगह-जगह पानी जमा होने और मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि के कारण डेंगू के मामलों में अक्सर उछाल देखा जाता है।

इस दौरान शीघ्र रोकथाम, सार्वजनिक भागीदारी और समय पर चिकित्सा देखभाल के जरिए इस रोग को नियंत्रित करना बेहद जरूरी हो जाता है। राष्ट्रीय डेंगू दिवस 2025 का मुख्य लक्ष्य लोगों को डेंगू से बचाव के लिए निवारक कार्रवाइयों के महत्व के बारे में शिक्षित करना है।

डेंगू क्या है?

डेंगू एक मच्छर जनित संक्रामक रोग है, जो संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर डेंगू वायरस को मनुष्यों में प्रसारित करता है और यह उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक प्रचलित है। डेंगू के सामान्य लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, मतली, उल्टी और त्वचा पर चकत्ते शामिल हैं।

डेंगू वायरस के चार प्रकार हैं: DENV-1, DENV-2, DENV-3 और DENV-4। एक व्यक्ति इनमें से किसी भी प्रकार से संक्रमित हो सकता है, और एक बार संक्रमित होने के बाद उसी प्रकार के वायरस से दोबारा संक्रमण की संभावना कम होती है, लेकिन अन्य प्रकारों से खतरा बना रहता है। डेंगू का निदान एनएस1 एंटीजन टेस्ट या पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) जैसे रक्त परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है।

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वर्तमान में डेंगू के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है। उपचार में सहायक देखभाल, जैसे पर्याप्त तरल पदार्थ, आराम और दर्द निवारक दवाओं का उपयोग शामिल है। अधिकांश मरीज एक से दो सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, लेकिन गंभीर मामलों में डेंगू जानलेवा हो सकता है, जैसे कि डेंगू हेमरेजिक फीवर या डेंगू शॉक सिंड्रोम। मच्छरों के काटने से बचाव ही डेंगू को नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी तरीका है।

राष्ट्रीय डेंगू दिवस का इतिहास

डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने वर्ष 2010 में 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस के रूप में घोषित किया। मॉनसून से पहले और उसके दौरान डेंगू के मामलों में वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने जागरूकता अभियानों और रोकथाम कार्यक्रमों को बढ़ावा देना शुरू किया। यह दिन लोगों को डेंगू के खतरों, लक्षणों और बचाव के उपायों के बारे में शिक्षित करने का एक अवसर प्रदान करता है।

वैश्विक और भारतीय परिदृश्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, विश्व की लगभग आधी आबादी डेंगू के खतरे में है। हर साल अनुमानित 10 से 40 करोड़ लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं। डेंगू का प्रकोप बरसात के मौसम में चरम पर होता है, क्योंकि अनुकूल तापमान, बारिश और नमी मच्छरों के प्रजनन और वायरस के प्रसार को बढ़ावा देते हैं। मच्छरों की बढ़ती आबादी, परिसंचारी वायरस सीरोटाइप और पर्यावरणीय कारक इस वृद्धि में योगदान देते हैं।

भार personally, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीवीबीडीसी) के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2025 तक भारत में डेंगू के 12,043 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 6 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। यह स्थिति डेंगू के प्रति सतर्कता और रोकथाम की तत्काल आवश्यकता को दर्शाती है।

डेंगू से बचाव के उपाय

डेंगू से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  1. स्वच्छता बनाए रखें: घर और आसपास के क्षेत्रों को साफ रखें। पानी के भंडारण कंटेनरों को ढक्कन से ढकें और कहीं भी पानी जमा न होने दें।
  2. मच्छरों से सुरक्षा:
    • मॉनसून में पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
    • मच्छरदानी का उपयोग करें।
    • मच्छर भगाने वाली क्रीम (जैसे DEET, पिकारिडिन, या IR3535 युक्त), कॉइल और वेपोराइजर का उपयोग करें।
  3. पानी के स्रोतों का प्रबंधन: गमलों, कूलरों, टायरों और अन्य स्थानों में जमा पानी को नियमित रूप से हटाएं, क्योंकि यह मच्छरों के प्रजनन का प्रमुख स्थान है।
  4. समय पर चिकित्सा सलाह: डेंगू के लक्षण (तेज बुखार, सिरदर्द, दाने आदि) दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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