Narayana Murthy : इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अगर इसे समय पर नियंत्रित नहीं किया गया, तो भारत के कई शहर रहने लायक नहीं रहेंगे। इसके चलते लोग बड़ी संख्या में पुणे, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों की ओर पलायन कर सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन से पलायन का खतरा
नारायण मूर्ति ने शुक्रवार को पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत और अफ्रीकी देशों में तापमान बढ़ने की संभावना ज्यादा है। उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले दो दशकों में भारत के कुछ इलाके रहने योग्य नहीं रहेंगे, जिससे बड़े पैमाने पर पलायन होगा।
पुणे, बेंगलुरु और हैदराबाद में रहना भी चुनौतीपूर्ण
हालांकि, मूर्ति ने यह भी कहा कि इन तीन शहरों में रहना आसान नहीं होगा। ट्रैफिक और प्रदूषण जैसी समस्याएं पहले से ही इन शहरों में जीवन को कठिन बना रही हैं।
समस्या का हल कैसे हो?
मूर्ति ने सुझाव दिया कि भारत में कॉर्पोरेट जगत, राजनेताओं और नौकरशाहों को मिलकर काम करना होगा ताकि इस तरह की स्थिति से बचा जा सके। उनका मानना है कि अगर सभी एकजुट होकर काम करें, तो जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय अक्सर आखिरी समय में काम पूरा करने की आदत रखते हैं, लेकिन 2030 तक जलवायु परिवर्तन पर सकारात्मक कदम दिखाई देने की उम्मीद है।
जलवायु परिवर्तन पर ध्यान क्यों जरूरी?
नारायण मूर्ति ने कहा कि अगर समय पर जलवायु परिवर्तन से निपटा नहीं गया, तो इससे देश की अर्थव्यवस्था, समाज और लोगों के जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
नारायण मूर्ति और उनके बयान
नारायण मूर्ति अक्सर अपने बयानों से चर्चा में रहते हैं। उनके “70 घंटे वर्क वीक” और पेरेंटिंग पर विचारों ने भी खूब सुर्खियां बटोरीं। जलवायु परिवर्तन पर उनका यह बयान भी नीति निर्माताओं और जनता को इस दिशा में कदम उठाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
जलवायु परिवर्तन से निपटना एक सामूहिक जिम्मेदारी है, और अगर समय पर उपाय किए गए, तो देश के शहरों और समाज को इस संकट से बचाया जा सकता है।