पृथ्वी का आंतरिक भाग हमेशा से वैज्ञानिकों और आम लोगों के लिए रहस्यमयी रहा है। भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और टेक्टोनिक प्लेटों का खिसकना इस बात का प्रमाण है कि हमारा ग्रह जीवित और गतिशील है। लेकिन पृथ्वी की सतह से लगभग 2,700 किलोमीटर नीचे मौजूद एक रहस्यमयी क्षेत्र, जिसे डी” परत कहा जाता है, ने लंबे समय तक वैज्ञानिकों को हैरान किया है।अब, ईटीएच ज्यूरिख के भू-वैज्ञानिकों ने इस गुत्थी को सुलझाने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है, जिससे पृथ्वी के गहरे आंतरिक भाग की गतिशीलता का नया अध्याय खुला है।
डी” परत का रहस्य और भूकंपीय तरंगों का अजीब व्यवहार
पृथ्वी के निचले आवरण में, लगभग 2,700 किलोमीटर की गहराई पर मौजूद डी” परत में भूकंपीय तरंगें अचानक तेज हो जाती हैं, जैसे कि वे किसी अलग सामग्री से गुजर रही हों। पिछले 50 वर्षों से वैज्ञानिक इस असामान्य व्यवहार को समझने की कोशिश कर रहे थे। साल 2004 में, ज्यूरिख के शोधकर्ताओं ने खोजा कि निचले आवरण का मुख्य खनिज पेरोवस्काइट, अत्यधिक दबाव और तापमान के तहत डी” परत के पास एक नए खनिज, “पोस्ट-पेरोवस्काइट” में बदल जाता है। यह परिवर्तन भूकंपीय तरंगों की गति को समझाने में मददगार साबित हुआ, लेकिन पूरी कहानी सामने नहीं आई थी।
2007 में, शोधकर्ताओं को नए सबूत मिले कि अकेले पेरोवस्काइट का यह परिवर्तन भूकंपीय तरंगों की गति को पूरी तरह से समझाने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके बाद, एक कंप्यूटर मॉडल के जरिए शोधकर्ताओं ने पाया कि पोस्ट-पेरोवस्काइट क्रिस्टल की दिशा के आधार पर उनकी कठोरता बदलती है। जब ये क्रिस्टल एक ही दिशा में संरेखित होते हैं, तभी भूकंपीय तरंगें तेज होती हैं, जैसा कि डी” परत में देखा गया।
प्रयोगशाला में सुलझी गुत्थी
जर्नल कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित हालिया शोध के अनुसार, वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में डी” परत की परिस्थितियों को दोहराकर भूकंपीय तरंगों की गति को मापा। शोध से पता चला कि अत्यधिक दबाव और तापमान के तहत पोस्ट-पेरोवस्काइट क्रिस्टल स्वयं को एक ही दिशा में संरेखित कर लेते हैं। इस संरेखण के कारण ही भूकंपीय तरंगें असामान्य रूप से तेज हो जाती हैं।
ठोस चट्टान का बहना: एक नई खोज
शोध का सबसे रोमांचक हिस्सा यह है कि वैज्ञानिकों ने साबित किया कि पृथ्वी के निचले आवरण में ठोस चट्टान, जो न तो तरल है और न ही पूरी तरह ठोस, धीरे-धीरे लेकिन स्थिर रूप से क्षैतिज रूप से बहती है। यह गति गर्मी से ठंडे क्षेत्र की ओर होती है, जैसी कि उबलते पानी में देखी जाती है। यह खोज न केवल डी” परत के रहस्य को सुलझाती है, बल्कि पृथ्वी के आंतरिक भाग की गतिशीलता को समझने में भी क्रांतिकारी साबित हो सकती है।
पृथ्वी की गतिशीलता का नया अध्याय
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह खोज एक सिद्धांत को निश्चितता में बदल देती है। यह साबित हो गया है कि पृथ्वी न केवल सतह पर, बल्कि अपने गहरे आंतरिक भाग में भी सक्रिय और गतिशील है। इस खोज के साथ, वैज्ञानिक अब पृथ्वी के गहरे आंतरिक भाग में धाराओं का मानचित्रण शुरू कर सकते हैं। यह मानचित्रण उस “अदृश्य मोटर” को समझने में मदद करेगा, जो ज्वालामुखियों, टेक्टोनिक प्लेटों की गति और संभवतः पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को संचालित करती है।
आगे की राह
यह शोध न केवल एक मील का पत्थर है, बल्कि पृथ्वी विज्ञान में एक नया मोड़ भी है। यह खोज पृथ्वी के आंतरिक भाग की गतिशीलता को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस जानकारी के आधार पर भविष्य में भूकंपों, ज्वालामुखी विस्फोटों और टेक्टोनिक गतिविधियों की भविष्यवाणी और समझ को और बेहतर किया जा सकता है।
पृथ्वी, जो बाहर से शांत दिखती है, अपने गर्भ में एक जीवंत और गतिशील दुनिया छिपाए हुए है। यह शोध उस दुनिया को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।