हर्पेटोलॉजी (सरीसृप और उभयचरों का अध्ययन) के प्रति रुझान रखने वाले कुछ दोस्तों और WWF इंडिया के साथ नदियों और आद्रभूमि पर काम करने वाले विशेषज्ञ लोहित वाई.टी ने बारिश शुरू होने से पहले, जैसे ही जंगल से वापस लौटने का मन बनाया, अचानक से उनकी नजर एक असाधारण जीव पर पड़ी। इसने टीम को वहां रुकने और ठहरने के लिए मजबूर कर दिया।
उन्होंने जो देखा, वो काफी अलग था। पास की एक टहनी पर एक राव्स इंटरमीडिएट गोल्डन बैक्ड फ्रॉग (हिलाराना इंटरमीडिया) आराम कर रहा था। ऐसा लगा जैसे वह अपने शरीर पर कुछ ले जा रहा हो। करीब जाने पर पता चला कि यह एक मशरूम है, जो उसके शरीर पर उग आया था।
लोहित जून 2023 के अपने अनुभव को याद करते हुए बताते हैं, “हम कर्नाटक के उडुपी में माला गांव के पास विभिन्न आवासों की खोज कर रहे थे। हमें पता था कि यहां पास ही एक तालाब है और हम विभिन्न सरीसृप और उभयचरों की तलाश में इस ओर चले आए। उस रात मानसून पूरे जोरों पर था और राव्स इंटरमीडिएट गोल्डन बैक्ड काफी सक्रिय थे।” उन्होंने मोंगाबे-इंडिया को बताया कि उन्हें सिर्फ एक मेंढक की पीठ पर ही मशरूम दिखाई दिया था।
टीम के पास उसका नमूना लेने के लिए जरूरी उपकरण नहीं थे, सो उन्होंने मेंढक को जाने दिया। बाद में लोहित ने इस असामान्य खोज को वैज्ञानिक समुदाय के साथ साझा किया। मेंढकों के जानकारों ने तुरंत उस मेंढक की प्रजाति को पहचान लिया। उन्होंने बताया कि यह एच. इंटरमीडिया है। इंडिया बायोडायवर्सिटी पोर्टल और आईनेचुरलिस्ट जैसे प्लेटफॉर्म पर मेंढक पर उगे मशरूम की पहचान माइसेना या बोटेम मशरूम के तौर पर की गई।
केरल के वैज्ञानिक और उभयचर विशेषज्ञ संदीप दास ने मोंगाबे-इंडिया को बताया, “यह सच है कि कुछ फंगस अक्सर मेंढकों की त्वचा पर रहते हैं, कभी-कभी परजीवी के रूप में और कभी-कभी ये जानलेवा भी हो जाते हैं। लेकिन जीवित मेंढक के शरीर पर पूरा मशरूम उगने की घटना पहले कभी नहीं देखी गई।”
बत्राकोलॉजिस्ट के.वी. गुरुराजा भी इस घटना से उतने ही हैरान हैं और इसे एक “बेहद दुर्लभ” घटना बताते हैं। उनके मुताबिक, हालांकि कुछ फंगस मेंढकों की त्वचा पर अक्सर देखे गए हैं, लेकिन उभयचर की त्वचा में ऐसे गुण होते है जो फंगस को त्वचा में अंदर जाने से रोकते हैं और उन्हें नुकसान नहीं पहुंचने देते। लेकिन इस मामले में, मशरूम उगना एक अनोखा मामला है।