पुणे: महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) ने मंगलवार, 22 अक्टूबर को रांजगांव महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) को जल प्रदूषण के मामले में नोटिस जारी किया। यह कदम कुर्कुंभ MIDC को जल प्रदूषण के लिए नोटिस जारी करने के लगभग एक महीने बाद उठाया गया है। MPCB ने यह नोटिस जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 33A और वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 31A के तहत जारी किया है। नोटिस में MIDC के कार्यकारी अभियंता से 7 दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है कि क्यों उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई न की जाए।
जल प्रदूषण और पर्यावरणीय मानकों का उल्लंघन
MPCB अधिकारी की सितंबर में की गई निरीक्षण यात्रा के दौरान पाया गया कि रांजगांव MIDC के कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (CETP) में आवश्यक उपकरण, जैसे एरटर्स, स्लज पंप और ऑयल सेपरेटर, सही ढंग से संचालित नहीं हो रहे थे। इसके अलावा, अपशिष्ट जल के शुद्धिकरण के लिए संयंत्र में आवश्यक उन्नयन भी पूरा नहीं हुआ था। विश्लेषण में पाया गया कि उपचारित जल में प्रदूषकों का स्तर निर्धारित सीमा से अधिक था, जिससे जल प्रदूषण हो रहा था।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव
रांजगांव MIDC में उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट जल का उचित उपचार न होने से क्षेत्र की पर्यावरणीय स्थिति गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है। जल प्रदूषण का सीधा प्रभाव आसपास के जल स्रोतों, मिट्टी और वनस्पतियों पर पड़ता है। दूषित जल पीने से स्थानीय निवासियों में जल जनित रोगों का खतरा बढ़ जाता है, जिसमें दस्त, पेट के संक्रमण, त्वचा रोग और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।
स्थानीय निवासियों की शिकायतें
MPCB को पिछले दो वर्षों से लगातार स्थानीय निवासियों से जल प्रदूषण को लेकर शिकायतें मिल रही हैं। निवासियों का कहना है कि औद्योगिक अपशिष्ट के कारण क्षेत्र में जलस्रोतों का उपयोग करना असंभव हो गया है। जलस्रोतों के दूषित होने से कृषि और पशुपालन पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है, जिससे आर्थिक और सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
उद्योगों का प्रभाव और प्रशासन की चुप्पी
रांजगांव MIDC क्षेत्र में कई बड़े उद्योग स्थापित हैं, जिनमें ऑटोमोटिव, मैन्युफैक्चरिंग, इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षेत्र शामिल हैं। ये उद्योग आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, लेकिन इनकी वजह से पर्यावरणीय नुकसान और स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी बढ़ते जा रहे हैं। MIDC के कार्यकारी अभियंता और जनसंपर्क अधिकारी से संपर्क करने पर वे टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे।
आगे की कार्रवाई
MPCB ने रांजगांव MIDC से सात दिनों के भीतर जवाब मांगा है, अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अब यह देखना होगा कि जल प्रदूषण की इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए सरकार और संबंधित अधिकारी क्या कदम उठाते हैं।