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MP हाईकोर्ट की कड़ी फटकार: यूनियन कार्बाइड कचरे पर फेक न्यूज पर रोक! सरकार को सख्त कदम उठाने को कहा

by kishanchaubey
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MP High Court Pithampur : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही में मीडिया संस्थानों को फर्जी खबरें छापने के मामले में सख्त फटकार लगाई है। यह मामला यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटारे को लेकर छपी गलत और भ्रामक खबरों से जुड़ा है।

क्या है पूरा मामला?

भोपाल गैस त्रासदी के बाद से यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा एक बड़ा पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संकट बना हुआ है। हाल ही में इस कचरे के निपटारे को लेकर अफवाहें फैलीं कि इसे पीथमपुर में डिस्पोज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह खबर झूठी निकली।

फर्जी खबरों का असर

इन फेक न्यूज के कारण लोगों में भ्रम और गुस्सा फैल गया। विरोध प्रदर्शन और हंगामे शुरू हो गए। हालांकि, बाद में पता चला कि यह खबर बिना तथ्यों की जांच किए ही प्रकाशित की गई थी।

हाई कोर्ट का रुख

हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डबल बेंच ने इस मामले को गंभीरता से लिया। कोर्ट ने कहा कि बिना तथ्यात्मक जांच के इस तरह की खबरें छापना न सिर्फ गैरजिम्मेदाराना है, बल्कि यह समाज में अफवाहें और अस्थिरता भी फैलाता है।

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कोर्ट ने निर्देश दिया कि:

  1. मीडिया संस्थान फर्जी खबरें प्रकाशित करने से बचें।
  2. सरकार ऐसे मीडिया हाउसेस पर सख्त कार्रवाई करे।
  3. सभी संबंधित पक्ष अपने दावों और रिपोर्टिंग में तथ्यों की जांच सुनिश्चित करें।

कचरे के निपटारे की प्रक्रिया पर कोर्ट का आदेश

मध्य प्रदेश सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह कचरे के निपटारे के आदेश को लागू करे और वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर लोगों को जागरूक करे। सरकार को यह कार्य छह सप्ताह में पूरा करना होगा।

कचरे का निपटारा कैसे होगा?

  • भोपाल से पीथमपुर लाए गए 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को 12 लीक-प्रूफ कंटेनरों में रखा गया है।
  • इसे रामकी इंडस्ट्रीज के विशेष संयंत्र में जलाकर नष्ट किया जाएगा।
  • इस प्रक्रिया में तीन से नौ महीने का समय लग सकता है।

महत्वपूर्ण अदालती निर्देश

  • कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कचरे को सुरक्षित तरीके से जलाने की प्रक्रिया के लिए किसी अतिरिक्त आदेश की जरूरत नहीं है।
  • सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए, कोर्ट ने कचरे के निपटारे में रोक लगाने से इंकार कर दिया।
  • अगली सुनवाई 18 फरवरी 2025 को होगी।

फेक न्यूज पर सबक

यह मामला उन मीडिया संस्थानों के लिए एक बड़ी चेतावनी है, जो बिना तथ्यात्मक सत्यापन के खबरें प्रकाशित करते हैं। कोर्ट ने साफ किया है कि इस तरह की गैरजिम्मेदाराना पत्रकारिता से समाज में भ्रम फैलता है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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